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ठोडा नाच: नाट्य, हास्य और क्रीड़ा की त्रिविधा

ठोडा नाच गिरीपार इलाक़े का ख़ास नाच है जो हिमाचल प्रदेश के किसी और इलाक़े में नहीं मिलता है. इस नाच के दौरान गाए जाने वाले गीत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक ही पहुँचे हैं. इन गीतों में एक दूसरे के हार और जीत के क़िस्से होते हैं.

हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिलाने की मुहिम में एक अच्छा काम यह हुआ है कि इस समुदाय की जीवनशैली, संस्कृति, लोक कलाओं और नाच-गीतों को संकलित करने का काम शुरू हुआ. इस क्रम में अब यहाँ कि लोक गाथाओं को रिकॉर्ड किया जा रहा है.

उनको संकलित किया जा रहा है और उनके बारे में लिखा भी जा रहा है. इन लोक कलाओं को बचाने के प्रयास हो रहे हैं. लेकिन पता नहीं ये प्रयास कितने कामयाब होंगे. हालाँकि अब तो हाटी समुदाय को केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति मान लिया है.

इसलिए समुदाय को उम्मीद है कि उनकी संस्कृति के संरक्षण के लिए ज़रूरी संसाधन उपलब्ध हो जाएँगे..लेकिन ये जब होगा तब होगा…समुदाय ने अपने आंदोलन की ज़रूरत के तौर पर ही सही एक ऐसा काम किया है जो उसकी संस्कृति को इतिहास का हिस्सा तो ज़रूर बना देगा. 

आप इस नाच और इससे जुड़ी लोक गाथाओं को समझना चाहते हैं तो उपर लगे वीडियो को देखें.

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