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जंगल, जड़ी बूटी और आदिवासी समुदाय का ज्ञान

बस्तर के घने जंगल में बसे आमाटोला की इस सुबह में हल्की से ठंढ थी. जब तक हम जग कर बाहर निकले, उससे कहीं पहले ही दलसू मंडावी का दिन शुरू हो चुका था. उनके पास आमाटोला और उसके आस-पास के गाँवों से औरतें अपने बच्चों को झाड़ा दिलवाने के लिए पहुँचने लगी थीं.

मुँह हाथ धोकर हम उनके साथ अलाव के पास बैठे तो उन्होंने बताया कि वो झाड़ फूंक के अलावा जड़ी बूटी से भी इलाज करते हैं. उन्होंने हमें जंगल से लाई गई किसी बेल की जड़ दिखाई. इस जड़ के बारे में उनका दावा है कि वो टॉनिक का काम करती है और शरीर में ख़ून की कमी को दूर करती है.

वो जानते हैं कि आदिवासी इलाक़ों में ख़ासतौर से औरतों में औरतों में ख़ून की कमी पाई जाती है. दलसू मंडावी ने बताया कि इस जड़ को उबाल कर उसका काढ़ा पीने से शरीर की कमज़ोरी दूर होती है. 

दलसू मंडावी हमारी रिक्वेस्ट पर हमें जंगल ले जाने के लिए तैयार हो गए. हम फटाफट नहा धो कर उनके साथ जंगल के लिए निकल पड़े. दलसू मंडावी पर आमाटोला यानि उनके अपने गाँव के लोग ही नहीं बल्कि आस-पास के लोग भी इलाज के लिए बहुत भरोसा करते हैं.

दलसू मंडावी स्वभाव से थोड़े चुपचाप रहने वाले आदमी हैं. कई बार कोई सवाल पूछने पर एकाध बार ही जवाब देते हैं. ज़्यादातर सवालों को टाल ही जाते हैं. इसके अलावा वो आसानी से जड़ी बूटियों के नाम भी नहीं बताते हैं. पूछने पर वो कहते हैं कि नाम क्या पूछना है, समस्या बताएँ , उसके हिसाब से वो जड़ी बूटी आपको दे देंगे. 

आदिवासियों का जंगल के बारे में ज्ञान ही उन्हें और जंगल दोनों को बचा कर रखता है. जंगल में सैंकड़ों तरह के औषधियों के पौधे, बेल और पेड़ होते हैं. आदिवासी इन्हीं से अपने समुदाय के लोगों की बीमारियों का इलाज करते हैं. आज भी ज़्यादातर आदिवासी इलाक़ों में आधुनिक इलाज उपलब्ध नहीं है.

आदिवासी इलाज के लिए अपने परंपरागत ज्ञान पर ही निर्भर करते हैं. आदिवासी समुदायों में कुछ परिवारों को पीढ़ी दर पीढ़ी यह जानकारी और ज्ञान मिलता है. आधुनिक इलाज की कमी की वजह से आदिवासी कई तरह की झाड़ फूंक और तंत्र मंत्र का सहारा भी लेते हैं.

इसे अंधविश्वास कहा जा सकता है. लेकिन जहां तक जड़ी बूटियों का सवाल है, आदिवासी इस मामले में काफ़ी माहिर होते हैं. 

दलसू मंडावी ने जंगल में हमें कई तरह के औषधीय पौधों के पत्तों और जड़ों के बारे में बताया. कई जड़ी बूटियाँ खोद कर भी दिखाईं. इनमें पेट दर्द, मलेरिया, सामान्य बुख़ार, खून की कमी और साँप का ज़हर उतारने की बूटी शामिल थीं.

दलसू मंडावी कहते हैं कि वो जड़ी बूटियों का धंधा नहीं करना चाहते हैं. इसलिए उनके पास कोई इलाज के लिए आता है तो वो उससे पैसा भी नहीं लेते हैं. वो कहते हैं कि उनके पिता ने उन्हें बताया था कि इलाज के लिए कभी किसी से पैसा नहीं लेना है.

आप यह पूरी ग्राउंड रिपोर्ट इस वीडियो में देख सकते हैं.

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