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माड़िया पेज: आदिवासी बनाते हैं एक बेहतरीन और पौष्टिक नाश्ता

छत्तीसगढ़ के बस्तर के जंगल में बसे आमाटोला में यह हमारा तीसरा दिन था. अब मैं और मेरे साथी भी जल्दी ही जगने लगे थे. सुबह उठ कर हम लोग भी अलाव के पास बैठ जाते और इस परिवार के दिन की शुरुआत देखते.

आज अमील बाई ने हमें बताया कि नाश्ते में हमें बस्तर का मशहूर नाश्ता माड़िया पेज मिलेगा. उन्होंने बताया कि यहाँ पर लगभग हर घर में रोज़ यह स्थायी नाश्ता है. माड़िया माने रागी. यह नाश्ता रागी के आटे से बनता है जिसे रात को भिगो दिया जाता है.

हमें लगा कि जब यह नाश्ता बन ही रहा है तो क्यों ना इसे अपने कैमरे में उतार लिया जाए. क्योंकि शहरों की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सुबह का नाश्ता क्या हो यह एक बड़ा सवाल बना रहता है.

हमें लगा कि इस आदिवासी नाश्ते को शहरों में भी बनाना कोई बड़ी चुनौती नहीं है. बल्कि बेहद आसान है. सो हमने यह पूरा प्रोसेस अपने कैमरे में उतार लिया और आपके लिए ट्राइबल किचन का यह एपिसोड तैयार किया है.

इस नाश्ते को बनाने की विधि बेहद आसान है. इसमें पहले पानी चढ़ा देना है, और जब पानी में उबाल आ जाए तो इसमें थोड़े से चावल डाल दें. इसके बाद रागी का भीगा हुआ आटा इसमें मिला दें. जब चावल गल जाएँ और चूल्हे पर चढ़ा यह घोल गाढ़ा होने लगे तो इसे चूल्हे से उतार लें.

इसके बाद हल्का ठंडा होने पर इसे उबले हुए साग, चने या कुलथी दाल के साथ खाएँ. आप चाहें तो अपने स्वाद के हिसाब से इसमें नमक और हल्की काली मिर्च मिला कर भी देख सकते हैं.

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