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केरल विधानसभा चुनाव: आदिवासियों के लिए आरक्षित दोनों सीटों पर साख की लड़ाई

केरल में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव होने हैं, तो राजनीति भी उबाल पर है. राज्य में दो सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, और दोनों ही वायनाड ज़िले में हैं.

वायनाड की लोकसभा सीट 2019 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रिकॉर्ड वोटों से जीती थी. इस विधानसभा चुनाव में उनकी और यूडीएफ़ की साख दांव पर है.

वायनाड की दोनों आदिवासी सीटों – सुल्तान बत्तेरी और मानन्तवाडी – पर स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं की कमी, मानव-पशु संघर्ष में वृद्धि, कृषि क्षेत्र में संकट, कृषि उपज की कम कीमतें और कृषि उत्पादन में गिरावट, इको-सेन्सिटिव ज़ोन अधिसूचना, और भूमिहीन आदिवासियों की समस्याएं यहां के चुनावी मुद्दे हैं.

और इलाक़े के आदिवासियों को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक मोर्चों ने अपने स्टार कैंपेनर यहां उतारे हैं.

यूडीएफ़ के लिए राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री ऊम्मन चांडी और नता विपक्ष रमेश चेन्नितला ने ज़िले का दौरा किया है. माकपा के लिए मुख्यमंत्री पिणराई विजयन यहां कैंपेन कर चुके हैं, और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एनडीए के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने के लिए 3 अप्रैल को जनसभा में हगे.

यह चुनाव एलडीएफ़ के लिए महत्वपूर्ण है, जिसने 2016 के विधानसभा चुनावों में तीन में से दो जीती थीं.

सुल्तान बत्तेरी में पिछली बार कांग्रेस उम्मीदवार आई.सी. बालाकृष्णन 11,198 मतों से जीते थे. इस बार उनका उनके सामने खड़े हैं माकपा के एम एस विश्वनाथन, जो कुछ समय पहले तक केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राज्य सचिव थे.

उन्होंने मुल्लुकुरुम्बा आदिवासी लोगों को टिकट न देने के कांग्रेस पार्टी के फ़ैसले से नाराज़ होकर हाल ही में इस्तीफ़ा दिया था, और जाकर माकपा में शामिल हो गए थे. एनडीए की उम्मीदवार हैं आदिवासी नेता सी के जानू.

उधर मानन्तवाडी  में पूर्व मंत्री कांग्रेस की पी के जयलक्ष्मी अपनी सीट को बचाने की कोशिश में होंगी. उनके सामने खड़े हैं माकपा और एनडीए उम्मीदवार पल्लियरा मुकुंदन.

एनडीए को हाल में झटका लगा था जब उसने अपने उम्मीदवारों की सूची में मानन्तवाडी से पनिया आदिवासी समुदाय के मणिकंडन सी का नाम घोषित किया. और मणिकंडन ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया.

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