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आंध्र प्रदेश: 6,600 PVTG आदिवासियों को घर बनाने के लिए 70,000 रूपए मिले

आंध्र प्रदेश के आदिवासी बहुल यानि एकिकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA- Integrated Tribal Development Agency) के पडेरु क्षेत्र में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के 6,600 आदिवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) निधि की पहली किस्त में प्रत्येक को 70 हज़ार रुपये दिए गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के अलग अलग राज्यों में रहने वाले पीवीटीजी समुदाय के आदिवासी परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत पहली किस्त जारी करने के लिए एक बड़ा वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया था.

पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM Janjati Adivasi Nyaya Maha Abhiyan) नाम की इस योजना के लाभार्थियों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बात भी की थी.

आईटीडीए (ITDA) ने आरकु घाटी मंडल (Araku Valley mandal) के कोठाबल्लागुडा (Kothabhallaguda) में बड़े पैमाने पर लॉन्च कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने योजना के एक लाभार्थी के साथ बातचीत की.

इस लॉन्च कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश तभी विकसित हो सकता है जब सरकार की कल्याणकारी योजनाएं ज्यादा से ज्यादा बस्तियों के आदिवासियों तक पहुंचेंगी.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आदिवासियों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, पीएम किसान, पीएम उज्ज्वल योजना, आयुष्मान भारत कार्ड और पीएमएवाई जैसे हर संभव तरीके से मदद कर रही है.

पीएम मोदी ने अराकू मंडल (Araku mandal) के अंदरूना गड्यागुड़ा गांव (Gadyaguda village) की एक पीवीटीजी महिला स्वाबी गंगा (Swabi Ganga) से बात की थी.

फ़िलहाल सरकार आदिवासी समुदायों के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर फोकस कर रही है. इस सिलसिले में सरकार के कई मंत्रालयों को यह ज़िम्मेदारी सौपी गई है कि वे आदिवासियों के लिए चलने वाली योजनाओं को ज़मीन पर लागू करें.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं. इस अभियान को सरकार की तरफ से बड़े स्तर पर प्रचारित भी किया जा रहा है.

इस अभियान को पीएम जनमन कार्यक्रम नाम दिया गया है. इस कार्यक्रम के तहत 11 मंत्रालय 24000 करोड़ रूपए आदिवासियों के लिए ख़र्च करेंगे.

इस पैसे से आदिवासी इलाकों में घर, सड़के, पीने का पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं तैयार की जाएंगी.

आंध्र प्रदेश के संदर्भ में अगर पीवीटीजी समुदायों की बात करें तो सरकार के अपने आंकड़े बताते हैं कि यहां पर इनकी कुल जनसंख्या 536014 है. जबकि इनमें से सिर्फ 139155 के पास ही पक्के मकान मौजूद हैं.

इसी तरह से आंध्र प्रदेश विश्ववविद्यालय की एक स्टडी बताती है कि अभी भी राज्य के आधे से ज़्यादा पीवीटीजी समुदायों के लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं.

भारत सरकार का आदिवासी मामलों का मंत्रालय यह दावा कर रहा है कि सरकार के 11 मंत्रालय आदिवासियों के लिए योजनाएं लागू करने में युद्ध स्तर की तेज़ी अपना रहा है.

लेकिन सवाल यह भी तो होना चाहिए कि जब सरकार लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ी है तब आदिवासियों के लिए ताबड़तोड़ योजनाओं की घोषणा के क्या मायने हैं.

क्योंकि सरकार के कम से कम 41 मंत्रालय देश के अलग अलग आदिवासी समुदायों के लिए कम से कम 218 योजनाएं चलाते हैं. साल 2023-24 में इन मंत्रालयों को आदिवासी समुदायों के लिए कुल 1 लाख 17 हज़ार 943 करोड़ रूपए ख़र्च करने थे.

लेकिन इन सभी मंत्रालयों ने 1 जनवरी 2024 तक मात्र 74 हज़ार 268 करोड़ रूपए ही ख़र्च किये. अगर आप इन आंकड़ों के गुणा भाग को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि इसमें पीएम जनमन का 24 हज़ार करोड़ रूपए भी जोड़ दिया जाए तो भी आदिवासी घाटे में ही रहा है.

आदिवासी इलाकों में योजनाएं लागू करने की यह जल्दबाज़ी इसलिए है कि देश में आम चुनाव की घोषणा और अचार संहिता लागू होने से पहले आदिवासियों के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं करके सरकार अपना प्रचार कर सके.

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