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भात भात कहते भूख से दम तोड़ने वाली आदिवासी बच्ची की माँ की पुकार सुनने में सुप्रीम कोर्ट को 5 साल लग गए

आदिवासियों को राशन कार्ड नहीं दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाई है. झारखंड में 2017 में हुई भूख से हुई मौत के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 3 करोड़ से भी ज्यादा राशन कार्ड रद्द किए जाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. 

सरकार को नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. सीजेआई एसए बोबड़े कि अध्यक्षता वाली पीठ ने झारखंड की कोयली देवी कि याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. 

दरअसल आधार कार्ड के साथ राशन कार्ड लिंक करना ज़रूरी कर दिया गया है. इसी आधार पर देश भर में ग़रीबों और आदिवासियों के कम से कम 3 करोड़ राशन कार्ड रद्द कर दिए गए थे.

इस मामले में जाने माने वकील कॉलिन गोंसॉलविस ने कहा कि आदिवासियों को राशन कार्ड नहीं मिल रहे हैं. इसकी वजह से आदिवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सीजेआई ने कहा कि यह गंभीर मामला है, हम इस पर सुनवाई करेंगे.

झारखंड की रहने वाली कोयली देवी की बेटी भात-भात कहते मर गई. आरोप है कि उनकी बेटी की मौत भूख के वजह से इसलिए हुई, क्योंकि राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं था. 

घटना सिमडेगा जिले के करिमति गांव की है, जहां 28 सितंबर 2017 को 11 साल की बच्ची संतोषी की मौत हुई थी. संतोषी की मां ने मीडिया को बताया था कि उनको फरवरी से राशन नहीं मिल रहा था और तब से उनका पूरा परिवार बड़ी मुश्किल से गुजर-बसर कर रहा था.

राशन कार्डों के डिजिटलीकरण के दौरान 3 करोड़ राशनकार्ड फर्जी पाए गए,जिन्हें रद्द किया गया है. सरकार ने लॉकडाउन के पीरियड के दौरान गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब योजना (पीएमजीएवाई) के तहत जून तक तीन महीने के लिए प्रत्येक राशनकार्ड धारक को मुफ्त एक किलो दाल वितरित करने का फैसला किया.

सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आधार और राशन कार्ड लिंकिंग जरूरी है. इसीलिए राशन कार्ड रद्द हुए हैं. इसके अलावा फर्जी राशन कार्ड भी बनाकर सरकार की स्कीम से मुफ्त में अनाज और अन्य सामान लिया जा रहा था. ये राशन कार्ड भी रद्द कर दिए गए हैं.

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