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ओडिशा: ऑनलाइन क्लास के चक्कर में 13 साल के आदिवासी लड़के ने गंवाई जान

ओडिशा के रायगड़ा ज़िले के पंडरगुडा गांव के एक आदिवासी लड़के के लिए बेहतर मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी की तलाश घातक साबित हुई. 13 साल के अंद्रिया जगरंगा एक पहाड़ी से फिसलकर गंभीर रूप से घायल हो गए.

अंद्रिया जगरंगा मंगलवार शाम को अपनी ऑनलाइन क्लास में हिस्सा लेने के लिए पहाड़ी के ऊपर एक चट्टान पर बैठा था, क्योंकि उसके फ़ोन में वहां पर ही नेटवर्क मिल रहा था.

वो अपने दोस्तों के साथ ऑनलाइन क्लास में भाग लेने के लिए पास की पहाड़ी पर गया था, जहां वो क्लास के लिए एक बड़े से पत्थर पर बैठ गया. लेकिन अचानक भारी बारिश होने लगी, और वो पत्थर लुढ़कने लगा, जिसके साथ अंद्रिया भी गिर गए.

गिरने से उनके पैर पर काफ़ी गंभीर चोट लगी, जिसके बाद उसे को पहले स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसके बाद बरहामपुर शहर के एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शिफ़्ट किए जाने के दौरान उसकी मौत हो गई.

जगरंगा कटक मिशनरी स्कूल का छात्र था, लेकिन कोविड-19 की वजह से ऑफ़लाइन क्लास बंद होने के बाद वो अपने गांव वापस आ गया था. यहां उसे ख़राब नेटवर्क कनेक्टिविटी के चलते अकसर पास की पहाड़ी पर चढ़ना पड़ता था.

डिजिटल डिवाइड की गहरी खाई

ओडिशा के ग्रामीण और आदिवासी इलाक़ों में छात्रों को गहरे डिजिटल डिवाइड का भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

ओडिशा इकोनॉमिक सर्वे, 2018-19 के अनुसार राज्य के 51,311 गांवों में से 20% से ज़्यादा में मोबाइल फोन कनेक्टिविटी नहीं थी. राज्य में इंटरनेट की पहुंच 38.02 के राष्ट्रीय औसत की तुलना में सिर्फ़ 28.22% है. राज्य के स्कूल और जन शिक्षा विभाग ने माना कि पिछले साल 60 लाख स्कूली छात्रों में से एक तिहाई तक ऑनलाइन शिक्षा नहीं पहुंची थी.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक़ कोरापुट ज़िले में छात्र सड़क पर बैठकर पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में लगे मोबाइल टावरों से आने वाले नेटवर्क का उपयोग करने को मजबूर हैं. इसी तरह सुंदरगढ़ जिले के छात्र झारखंड से मोबाइल नेटर्क लेते हैं.

पिछले महीने रायगड़ा में ही कोंध आदिवासी लड़की कविता निसिका को नेटवर्क ग्रिड पर आने के लिए ज़िला मुख्यालय में एक कमरा किराए पर लेना पड़ा था.

ओडिशा सरकार YouTube पर कक्षा 1 से 10 के लिए क्लास की लाइव-स्ट्रीमिंग कर रही है, और अब YouTube के माध्यम से ही उच्च माध्यमिक छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू करने की योजना बना रही है.

पिछले महीने ओडिशा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कंधमाल, कालाहांडी, कोरापुट, नबरंगपुर और रायगड़ा के ज़िला प्रशासन से छात्रों को ऑनलाइन क्लास में हिस्सा लेने के लिए मोबाइल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए कहा था.

आयोग ने यह भी कहा था कि मोबाइल कनेक्टिविटी की कमी का सबसे बड़ा नुकसान आदिवासी बहुल इलाकों के छात्रों को झेलना पड़ रहा है. कनेक्टिविटी न होने की वजह से बच्चे अलग-अलग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि वो ऑनलाइन क्लास पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं.

मोबाइल नेटवर्क तक पहुंचने के लिए बच्चों को अकसर पहाड़ियों पर या पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है. और यह हालात सिर्फ़ ओडिशा के नहीं हैं. हमने आदिवासी इलाक़ों में नेटवर्क कवरेज की कमी के बारे में कई रिपोर्ट छापी हैं. इनमें से एक रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं.

दिक्कत सिर्फ़ नेटवर्क की नहीं है. आदिवासी बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास में हिस्सा लेने के लिए ज़रूरी गैजेट भी नहीं हैं. लॉकडाउन की वजह से शिक्षा के ऑनलाइन शिफ़्ट हुए डेढ़ साल हो चुका है, लेकिन सरकारें अभी तक इन समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढ पाई हैं.

जब तक सरकारें हरकत में नहीं आतीं, अंद्रिया जगरंगा जैसे हादसे होते रहेंगे.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है.)

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