केरल में कम से कम 43,592 आदिवासी छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए ज़रूरी उपकरण नहीं हैं. राज्य के एससी / एसटी मंत्री के. राधाकृष्णन ने शुक्रवार को विधानसभा में यह बयान दिया.
स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों को अपने फंड का उपयोग करके ज़रूरतमंद बच्चों को डिजिटल उपकरण उपलब्ध कराने के लिए एक सरकारी आदेश जारी कर दिया गया है.
जब तक नए उपकरण बच्चों को नहीं दिए जाते हैं, तब तक KITE के माध्यम से स्कूलों को दिए गए लगभग 1 लाख नए लैपटॉप ज़रूरतमंद आदिवासी छात्रों के बीच बांटे जाएंगे.
आईटी अनुभाग ने राज्य की 1,034 आदिवासी बस्तियों पर डेटा साझा किया है, जिनमें ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ज़रूरी इंटरनेट कनेक्टिविटी या तो नहीं है, या फिर बेहद कमज़ोर है.
केरल में 74 आदिवासी बस्तियों में बिजली की आपूर्ति भी नहीं है. विधानसभा में कहा गया कि ऐसी बस्तियों का जल्द ही विद्युतीकरण किया जाएगा.

विधानसभा में एक दूसरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए, मत्स्य पालन, संस्कृति और युवा मामलों के मंत्री साजी चेरियन ने कहा कि ऐसे छात्र जिनके पास ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए डिजिटल उपकरण नहीं हैं, उनकी सूची लगभग तैयार है.
राज्य और स्थानीय दोनों स्तरों पर डिजिटल उपकरण दिए जाने के लिए ज़रूरी क़दमों की लगातार समीक्षा भी की जा रही है. जैसे ही सूची तैयार होगी, लैपटॉप और टैबलेट जैसे उपकरण जल्द से जल्द बांटे जाएंगे. उपकरणों का वितरण चार चरणों में किया जाएगा.
इसके अलावा सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि विक्टर्स चैनल और दूसरे प्लेटफ़ॉर्मों पर प्रसारित होने वाली डिजिटल क्लास का फ़ायदा हर छात्र को मिले.
इसी महीने के शुरुआत में मुख्यमंत्री पिणराई विजयन ने कहा था कि राज्य के सभी बच्चों, ख़ासकर आदिवासी बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा था कि आदिवासी बच्चों और उनके माता-पिता को डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल के लिए ज़रूरी ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
इसके अलावा आदिवासी इलाक़ों में स्टडी रूम की स्थापना और स्मार्टफ़ोन खरीदने के लिए ब्याज़-मुक्त लोन की सुविधा का भी ऐलान पिणराई विजयन ने किया था.