HomeAdivasi Dailyहिरण के मांस के नाम पर आदिवासी लड़के को फँसाने का आरोप

हिरण के मांस के नाम पर आदिवासी लड़के को फँसाने का आरोप

इस मामले में जानकारी मिली है कि वन विभाग ने सरिन साजी नाम के एक आदिवासी लड़के को गिरफ्तार किया था. इस लड़के पर आरोप लगाया गया था कि वह जंगली जानवरों का मांस बेच रहा था. इस इलाक़े के आदिवासी संगठनों और सत्ताधारी दल सीपीएम ने इस गिरफ़्तारी को ग़लत बताया था.

केरल के इडुक्की ज़िले में एक वन विभाग के अधिकारी का तबादला कर दिया गया है. इस अधिकारी का नाम अनिल कुमार बताया गया है. इस अधिकारी पर आरोप है कि इसने एक आदिवासी लड़के को झूठे केस में फँसाया था. वन मंत्री के कार्यालय से बताया गया है कि इस अधिकारी के ख़िलाफ़ विभागीय जाँच शुरू कर दी गई है. 

इस मामले में जानकारी मिली है कि वन विभाग ने सरिन साजी नाम के एक आदिवासी लड़के को गिरफ्तार किया था. इस लड़के पर आरोप लगाया गया था कि वह जंगली जानवरों का मांस बेच रहा था. इस इलाक़े के आदिवासी संगठनों और सत्ताधारी दल सीपीएम ने इस गिरफ़्तारी को ग़लत बताया था.

इस लड़के की गिरफ़्तारी के बाद आदिवासी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था. वन अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इस लड़के के ऑटो की तलाशी ली थी. उस तलाशी में उसके ऑटो में हिरण का मीट पाया गया था. इस लड़के के पास जो मीट की मात्रा दो किलोग्राम बताई गई थी. 

आदिवासी संगठनों ने वन विभाग के इस दावे को पूरी तरह से ग़लत करार दिया है. उनका कहना था कि 29 सितंबर को सुबह 6 बजे उसने वनमाउ चेकपोस्ट पार किया था. उस समय उसके ऑटो से कुछ भी बरामद नहीं किया गया था. 

जिस आदिवासी लड़के पर हिरण के मांस बेचने का आरोप लगा है उसकी उम्र 24 साल बताई गई है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वन विभाग के अधिकारियों ने उसके साथ काफ़ी मारपीट की थी. उसके बाद इस लड़के को फँसाने के लिए ऑटो में हिरण का मांस प्लांट किया गया था.

इस तरह के मामलों में नियमों के तहत रेंज ऑफ़िसर की रेंक के उपर के अधिकारी माहासर रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते हैं. लेकिन इस आदिवासी लड़के से जुड़ी रिपोर्ट पर एक फॉरेस्ट रेंजर ने ही साइन किया है. 

आदिवासी लड़के के परिवार के लोगों का कहना है कि इस घटना में जब इस लड़के को गिरफ़्तार किया गया था तो रेंज ऑफ़िसर वहाँ आए थे. लेकिन उन्होंने रिपोर्ट साइन नहीं की क्योंकि उन्हें शायद यह पता था कि मामला सच नहीं है.

परिवार ने यह भी बताया है कि इस लड़के के ऑटो से बरामद बताए जा रहे मांस की जाँच भी अभी तक नहीं हुई है. इसलिए अभी तक यह नहीं पता है कि यह मांस जंगली हिरण का ही है या फिर किसी और जानवर का है.

हालाँकि वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में तय प्रक्रिया का पालन किया गया है. वन विभाग ने कहा है कि इस मामले की जाँच में सच सामने आ जाएगा. उधर आदिवासी संगठनों का कहना है कि सरिन ऑटो चला कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है.

लेकिन कई दिनों से उसका ओटो वन विभाग के क़ब्ज़े में है. उसके परिवार का कहना है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच की जानी चाहिए. 

आदिवासी इलाक़ों में अक्सर वन विभाग और आदिवासियों के बीच झड़प और झगड़े की रिपोर्ट देश भर के अलग अलग इलाक़ों से आती रहती हैं. इसी साल विश्व आदिवासी दिवस के दिन यानि 9 अगस्त को मध्य प्रदेश में वन विभाग के कर्मचारी ने एक आदिवासी को गोली मार दी थी.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पोडू भूमि के मसले पर वन विभाग और आदिवासियों के बीच तकरार की ख़बरें लगातार आती रहती हैं.

(तस्वीर सिर्फ़ प्रतीकात्मक है)

1 COMMENT

  1. “मैं भी भारत ” टीम को मेरी ओर से दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं नमस्कार।।
    महोदय मेरा स्वयं का मत और अनुभव है कि वन विभाग ओर आदिवासियों बीच वन भूमि,वनोपज या फिर वन्य जीवों का शिकार करने के जुर्म में षड़यंत्र रचकर फंसाया जाता है उन्हें बेवजह परेशान किया जाता है। हकीकत तो यह है कि आदिवासी लोग शासन- प्रशासन की नियम,कायदे ,कानून का भलि भाँति बखूबी से अनुसरण करते हैं। वे कभी नहीं चाहते की हमसे कोई गुनाह हो, सरकारी कानून -कायदों से कोसों मील दूरी बनाये रखते हैं। हां कुछ जगहों पर आदिवासियों की पुरखों की जमीन वन विभाग ने अपने अंडर ले ली है। इन्हीं के चलते झड़प होती है अपने ही जमीन अपना नहीं होता आदिवासी ठगा सा रह जाता है ।

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