आदिवासी मतदाताओं को लुभाने की एक और कोशिश में, मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार आदिवासी नायकों के नाम पर संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों का नाम बदलने की होड़ में है.
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में पातालपानी रेलवे स्टेशन और शहर के दो दूसरी जगहों का नाम आदिवासी आइकन तांत्या भील के नाम पर रखने की घोषणा की.
हाल ही में भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम एक आदिवासी रानी रानी कमलापति के नाम पर रखा गया था.
पिछली सरकारों पर आदिवासी इतिहास की अनदेखी का आरोप लगाते हुए चौहान ने सोमवार को कहा कि 53 करोड़ की लागत से विकसित किये जा रहे इंदौर के भंवर कुआं चौराहे और एमआर 10 बस स्टैंड का नाम भी तांत्या भील के नाम पर रखा जाएगा.
उन्होंने यह बात ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के समापन समारोह में कही.
श्चौहान ने कहा कि देश और मध्य प्रदेश में आदिवासियों का एक गौरवशाली इतिहास रहा है और स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नायकों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता संग्राम और मुगलों के खिलाफ लड़ाई में गोंडवाना साम्राज्य के योगदान के बारे में ठीक से नहीं पढ़ाया गया है. स्वतंत्रता संग्राम के बारे में गलत इतिहास पढ़ाया गया और कांग्रेस ने सिर्फ एक परिवार के बारे में बात की. राजा शंकर शाह, रघुनाथ शाह, तांत्या मामा (भील), भीम नायक जैसे आदिवासी प्रतीकों के योगदान के बारे में कभी नहीं बताया.”
इसके अलावा चौहान ने आदिवासी समुदायों के लिए और कई घोषणाएं भी की.
कौन हैं तांत्या भील?
आदिवासियों के बीच “भारतीय रॉबिन हुड” के नाम से मशहूर तांत्या भील, उन क्रांतिकारियों में से एक हैं, जिन्होंने 12 साल ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया. कहा जाता है कि तांत्या भील ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूट कर गरीबों में बांट दिया करते थे.
उन्हें हर उम्र के लोग मामा कहते थे. तांत्या का यह संबोधन इतना लोकप्रिय हुआ कि भील आज भी “मामा” कहे जाने पर गर्व महसूस करते हैं.
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