नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) प्राइमरी कक्षाओं में मातृभाषा में पढ़ाने पर जोर देती है. लेकिन जब ओडिशा के आदिवासी समुदायों का भाषा-आधार इतना विविध है कि उनकी 21 भाषाएं हैं, जिनको 74 डायलेक्ट में बांटा गया है, तो यह काम काफी मुश्किल लगता है.
हालाँकि, बहुभाषी शिक्षा में ओडिशा का एक दशक लंबा प्रयोग इस चुनौती का सामना करने में कारगर साबित हो सकता है.
राज्य सरकार के एसटी और एससी विकास विभाग ने प्राइमरी कक्षाओं में आदिवासी छात्रों के सामने आने वाली भाषा से जुड़ी मुश्किलों का समाधान ढूंढने के लिए ‘संहति’ नाम की परियोजना तैयार की है.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (SCSTRTI) और जनजातीय भाषा और संस्कृति अकादमी (ATLC) मिलकर इस परियोजना को लागू कर रहे हैं.
विभाग राज्य भर में 1,732 रेज़िडेंशियल स्कूलों का प्रबंधन करता है. इसके तहत प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक 4.5 लाख से ज़्यादा आदिवासी और अनुसूचित जाति के छात्रों को 85 हॉस्टलों में मुफ्त आवास दिया जाता है.
अब, ‘संहति’ के तहत, विभाग राज्य के 1,450 प्राथमिक स्कूलों में लगभग 2.5 लाख छात्रों को कवर करने की योजना बना रहा है.
इसके अलावा, स्कूल और जन शिक्षा विभाग 17 आदिवासी बहुल जिलों में लगभग 1,500 स्कूलों का प्रबंधन करता है, जहां छात्रों को आदिवासी भाषाओं में पढ़ाया जाता है.
आदिवासी भाषाओं में पढ़ाने के लिए 3,328 शिक्षक और 222 भाषा शिक्षक तैनात हैं.
21 भाषाओं में से, संथाली – जे इकलौती भाषा है जिसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है – को अपनी पुरानी चिकी लिपि में पढ़ाया जाता है, जबकि बाकी आदिवासी भाषाओं की ओडिया लिपि है.
पाँचवीं कक्षा तक मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में निर्धारित करना भले ही आसान है, लेकिन इसे लागू करना उतना ही मुश्किल. ओडिशा में कुल 62 आदिवासी समुदाय हैं, जिनमें से 13 विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह यानि पीवीटीजी हैं, जो इसे भारत में सबसे विविध आदिवासी समुदायों वाला राज्य बनाते हैं.
[…] में भी इसी तरह की पहल पिछले साल शुरु की गई थी. राज्य के […]