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असंगठित क्षेत्र में 72 प्रतिशत मज़दूर आदिवासी, दलित या ओबीसी, ज़्यादातर बेहद ग़रीब

आंकड़ों के सामाजिक विश्लेषण से पता चलता है कि 72.58 प्रतिशत मजदूर सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों से आते हैं. इनमें 40.44 प्रतिशत ओबीसी, 23.76 प्रतिशत एससी और 8.38 प्रतिशत एसटी हैं.

केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत आठ करोड़ असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों में से 92 प्रतिशत से ज़्यादा की मासिक आय 10,000 रुपये या उससे कम है. इसके अलावा इस क्षेत्र में काम करने वाले 72 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एससी) और ओबीसी हैं.

8.01 करोड़ मज़दूर पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, और आंकड़े बताते हैं कि इनमें से ज्यादातर गरीबी में जी रहे है, और उनमें से भी अधिकांश सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों, यानि दलित, आदिवासी या ओबीसी हैं.

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 92.37 प्रतिशत मजदूरों की मासिक आय 10,000 रुपये या उससे कम है, जबकि 5.58 प्रतिशत की मासिक आय 10,001 रुपये से 15,000 रुपये के बीच है.

आंकड़ों के सामाजिक विश्लेषण से पता चलता है कि 72.58 प्रतिशत मजदूर सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों से आते हैं. इनमें 40.44 प्रतिशत ओबीसी, 23.76 प्रतिशत एससी और 8.38 प्रतिशत एसटी हैं.

सामान्य श्रेणी के श्रमिकों की संख्या 27.41 प्रतिशत है.

रजिस्टर्ड मजदूरों में से 61.4 प्रतिशत 18 से 40 साल की उम्र के हैं, जबकि 22.24 प्रतिशत 40 से 50 साल की उम्र के हैं.

गौर करने वाली बात है कि 3.77 प्रतिशत मजदूरों की उम्र 16 से 18 साल के बीच है. इन मजदूरों में 51.66 प्रतिशत महिलाएं हैं और 48.34 प्रतिशत पुरुष.

पंजीकरण के मामले में टॉप 5 राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार और झारखंड हैं.

ई-श्रम पोर्टल देश में असंगठित क्षेत्र के कामगारों (NDUW) का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के लिए बनाया गया है. 

पोर्टल का उद्देश्य देश में 38 करोड़ से ज्यादा असंगठित मजदूरों तक कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाना है.

इसे इसी साल 26 अगस्त को लॉन्च किया गया था.

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