रांची की आदिवासी एथलीट चंचला कुमार ने इतिहास रचा है. चंचला विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के लिए क्वॉलीफाई करने वाली झारखंड की पहली महिला पहलवान बनी हैं.
रांची के होतवार गांव की 14 साल की चंचला कुमार ने विश्व चैंपियनशिप के 40 कि.ग्रा. सब-जूनियर कैटेगरी में अपनी जगह बुक की है. चंचला इस कैटेगरी में हिस्सा लेने वाली भारत की इकलौती पहलवान होंगी.
चंचला चैंपियनशिप के लिए क्वॉलिफ़ाई करने के लिए दिल्ली में हुए ट्रायल में गोल्ड मेडल जीता. विश्व चैंपियनशिप 19 से 25 जुलाई के बीच हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में होगी.
चंचला झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (JSSPS) से आती हैं. JSSPS सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) और राज्य के खेल विभाग के बीच एक जॉइंट वेंचर है, जो उभरते खिलाड़ियों के कौशल को सुधारने के लिए होतवार में मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में विभिन्न अकादमियां चलाता है.
चंचला JSSPS के पहले बैच से हैं. उन्होंने 2016 में प्रशिक्षण शुरू किया था. झारखंड राज्य कुश्ती संघ के अध्यक्ष भोलानाथ सिंह ने मीडिया को बताया कि चंचला की उपलब्धि राज्य की कुश्ती बिरादरी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वो विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने वाली राज्य की पहली पहलवान हैं.
सिंह ने यह भी कहा कि चंचला में और ऊंचाइयों को छूने की क्षमता है. “वह पहले राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुकी हैं. उसने 2017 में SGFI खेलों में सिल्वर मेडल जीता, और अगले दो सालों में आयोजित मीट्स में लगातार दो गोल्ड मेडल जीते,” सिंह ने कहा.
चंचला अपने कौशल को सुधारने के लिए क़रीब एक साल पहले भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI), लखनऊ के भारत शिविर में शामिल हुई थीं.
वर्ल्ड चैंपियनशिप में क्वॉलिफ़ाई करने से चंचला भी बहुत खुश हैं. कोविड-19 ने पिछला एक साल उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण बनाया. लॉकडाउन की वजह से उनकी तैयारियां कुछ अलग थीं. शारीरिक क्रिया से ज़्यादा उन्होंने तकनीक पर ऑनलाइन प्रशिक्षण का सहारा लिया.
लेकिन उन्होंने घर पर अभ्यास जारी रखा. उनके परिवार ने लॉकडाउन से जुड़ी मुश्किलों के बावजूद, कभी भी चंचला को हतोत्साहित नहीं किया. चंचला के पिता नरेंद्र पाहन छोटे किसान हैं, और उनकी मां गृहिणी हैं. चंचला के तीन भाई-बहन हैं.
mai 7 sal ki hu aur mujhe khel me bhut ruchi hai kirpya sahayata kare