मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) ने रविवार को कहा कि मणिपुर संकट के समाधान के लिए संघर्षरत कुकी और मैतेई समुदाय से वार्ता करने से पहले सरकार को इन समुदायों का निरस्त्रीकरण सुनिश्चित करना चाहिए.
मणिपुर प्रेस क्लब में संवाददाताओं से बातचीत में येचुरी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ‘डबल इंजन’ की सरकार को तीन महीने से जारी संघर्ष को सुलझाने के लिए डबल कोशिश करनी चाहिए.
तीन दिवसीय दौरे पर मणिपुर में चार सदस्यीय सीपीआई (एम) प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले येचुरी ने कहा कि बातचीत और चर्चा ही एकमात्र तरीका है जिसके माध्यम से भारत में अब तक सभी समस्याओं का समाधान किया गया है और मणिपुर में भी ऐसा ही होना चाहिए.
येचुरी ने कहा, ‘‘किसी तरह का संवाद या चर्चा होनी चाहिए और यह सरकारों (केंद्र और राज्य की) की प्राथमिक जिम्मेदारी है. अगर यह डबल इंजन की सरकार है तो कृपया सभी को वार्ता की मेजपर एक साथ लाने में डबल कोशिश करें. हमने पूर्व में ऐसा किया है. यह भारत के सामने गत 75 साल में आई सभी समस्याओं के समाधान का एकमात्र तरीका है.’’
येचुरी ने कहा, ‘‘निरस्त्रीकरण वार्ता के लिए पूर्व शर्त होनी चाहिए. बातचीत की शुरुआत संघर्ष विराम से होनी चाहिए और इसके बाद मुद्दे पर प्रक्रिया आगे बढ़नी चाहिए.’’
उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य में संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की भी मांग की.
मणिपुर में तीन मई से जारी हिंसा को रेखांकित करते हुए येचुरी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार या तो अक्षम है या फिर लापरवाह.
उन्होंने कहा, ‘‘हम लगातार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में संसद की सभी पार्टियों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजने की मांग केंद्र से कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा कि हम सरकार से राज्य की विपक्षी पार्टियों से भी बैठक की मांग कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि जिन शिविरों में हिंसा प्रभावितों को रखा गया है वहां पर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है.
माकपा नेता ने कहा, ‘‘हम सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए राज्यपाल अनुसुइया उइके से हस्तक्षेप की अपील करते हैं.’’
येचुरी अपनी पार्टी के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ शुक्रवार को तीन दिवसीय दौरे पर आए हैं. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात करने के अलावा चुराचांदपुर और मोइरांग जिलों के राहत शिविरों का भी दौरा किया.
वहीं मणिपुर 3 मई से जातीय हिंसा की चपेट में है. बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के दौरान यह हिंसा भड़की थी.
हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 60 हज़ार लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा. दोनों समुदायों के बीच अविश्वास की गहरी भावना उभरी है और राज्य बड़े पैमाने पर मैतेई और आदिवासी इलाकों में बंट गया है.
महीनों से जारी हिंसा में घरों को जला दिया गया, सरकारी इमारतों पर हमला किया गया, पुलिस के हथियार लूट लिए गए और धार्मिक स्थलों के साथ-साथ राजनीतिक प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाया गया.
मणिपुर की कुल आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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केन्द्र /राज्य सरकार दोनों समुदाय के मध्य उपजे विवाद पर जल्द शांति वार्ता कर उचित निर्णय लेनी होगी।