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लोकसभा चुनाव 2024: राजस्थान में राजकुमार रोत डूंगरपुर-बांसवाड़ा से बाप के उम्मीदवार होंगे

दक्षिण राजस्थान के डूंगरपुर बांसवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव में उतरे राजकुमार रोत दो बार विधान सभा चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं. वे निश्चित ही इस सीट पर मजबूत दावेदार हैं.

दक्षिण राजस्थान की चोरासी विधानसभा सीट पर बाप (Bharat Adivasi Party) के उम्मीदवार राजकुमार रोत ने 69,166 वोट से जीत दर्ज की थी. राजस्थान के चुनाव में यह सबसे बड़े अंतर की जीत थी.

इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी एक मजबूत दावेदार होगी.

विधानसभा चुनाव 2023 (Rajasthan assembly 2023) के बाद से ही भारत आदिवासी पार्टी (BAP), दक्षिण राजस्थान के आदिवासी बहुल ज़िलों में प्रभावशाली साबित हुई है.

बाप पार्टी के संस्थापकों में से एक राजकुमार रोत (Rajkumar Roat), इस लोकसभा चुनाव (Lok Shaba Election 2024) में डूंगरपुर बांसवाड़ा से प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए है.

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राजकुमार रोत बाप के उन तीन नेताओं में से एक है, जो पिछले विधानसभा चुनाव में विजयी रहे.

यह तय है कि राजकुमार रोत के मैदान में आने के बाद अब मुकाबला कांग्रेस, बीजेपी और भारत आदिवासी पार्टी के बीच होगा. इसके साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि यहां पर लड़ाई बहुत ही करीबी होने वाली है.

राजस्थान में कांग्रेस ने भारत आदिवासी पार्टी को इंडिया गठबंधन में लाने का प्रयास किया था. लेकिन दोनों पार्टियों के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया.

बाप ने इस लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस ने अभी तक अपने डूंगरपुर बांसवाड़ा के प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है.

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वहीं बीजेपी ने डूंगरपुर निर्वाचन क्षेत्र से महेंद्रजीत सिंह मालवीय को प्रत्याशी के रूप में उतारा है.

महेंद्रजीत सिंह, अशोक गहलोत के समय मंत्री रह चुके है और कांग्रेस के नेता थे. उन्होंने हाल ही में बीजेपी की सदस्यता ली है.

क्यों हो सकते है रोत गेम चेंजर

अगर 2023 के विधान सभा चुनाव में राजकुमार रोत ने राजस्थान की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी तो साल 2018 में वे राज्य में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे.

बाप ने 2023 के विधानसभा चुनाव में डूंगरपुर और बांसवाड़ा ज़िले से तीन सीटों पर विजय पाई थी. यह पार्टी गुजरात के बीटीपी पार्टी से उत्पन्न हुई है. बीटीपी 2018 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में जीती थी.

रोत को इसलिए गेम चेंजर माना जा रहा है क्योंकि डूंगरपुर और बांसवाड़ा दोनों ही आदिवासी बहुल इलाके है. बाप कई सालों से आदिवासी अधिकार और आदिवासी के लिए आरक्षण जैसे मुद्दों पर बात करते आए है.

इन मुद्दों की वज़ह से ही डूंगरपुर-बांसवाड़ा के विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर उन्होंने विजय हासिल की है.

बाप ने भील आदिवासियों के लिए अलग राज्य और आदिवासी इलाकों में अनुसूचित जनजाति को शिक्षा और नौकरी में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था.

इन वादों का मेल बीजेपी और कांग्रेस जैसी बड़ी दिग्गज़ पार्टियां भी नहीं कर सकती है. क्योंकि ऐसा करने से उनके गैर आदिवासी वोट प्रभावित होंगे.

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