HomeIdentity & Lifeआदिवासी औरतें रंगीन धागों में संस्कृति और परंपरा का इतिहास गूँथतीं हैं

आदिवासी औरतें रंगीन धागों में संस्कृति और परंपरा का इतिहास गूँथतीं हैं

त्रिपुरा में एक समय कोई आदिवासी परिवार नहीं था, जिसमें घर पर कपड़ा बुनने के लिए हथकरघा नहीं था. घर पर बुनी गई पोशाकों की अपनी कई ख़ासियत थीं. अभी भी कुछ परिवार घरों पर कपड़ा बुनते हैं. लेकिन अब ये पोशाक सिर्फ़ ख़ास अवसर पर ही पहने जाते हैं.

त्रिपुरा में 19 जनजातियों के लोगों की अपनी अपनी परंपरागत पोशाकें हैं. इन पोशाकों की पहली ख़ासयित ये है कि इन्हें घर पर ही बुना जाता है. लेकिन उससे भी बड़ी ख़ासियत इनके अलग अलग डिज़ाइन हैं.

यहां की सभी जनजातियों के पोशाकों के रंग काफी चटक होते हैं. जब आप किसी जनजातीय महिला या पुरूष को उसके परंपरागत पोशाक में देखेंगे तो आसानी से उनके समुदाय का नाम पता लगा सकते हैं.

मसलन अगर किसी स्त्री या पुरुष के पोशाक में काले रंग की पट्टी नज़र आ रही है तो समझ सकते हैं कि वे रियांग यानि ब्रू जनजाति के लोग हैं.

इन पोशाकों के बारे मे एक और ख़ास बात होती है कि इनके सूत बनाने से लेकर रंगाई और बुनाई सभी यहां की महिलाएं अपने घरों पर करती हैं.

पूरी कहानी वीडियो में देखेंगे तो समझने में आसानी होगी. लिंक उपर दिया गया है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments