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आदिवासी औरतों की लंबाई लगातार घट रही है – शोध

इस शोध में नेशनल हैल्थ सर्वे -3 के आँकड़ों के आधार पर बताया गया है कि बाक़ी समुदायों की तुलना में आदिवासी लड़कियों की औसत लंबाई में कम से कम 2 सेंटीमीटर की कमी दर्ज हुई है. मर्दों के मामले में भी आदिवासी समुदायों पर बुरा प्रभाव देखा गया है. इस शोध में दावा किया गया है कि आदिवासी पुरूषों में भी औसत लंबाई घट रही है. शोध में शामिल लोगों का दावा है कि इस ट्रेंड को जेनेटिक नहीं कहा जा सकता है.

क्या भारत के आदिवासी समुदायों में औरतों की लंबाई घट रही है. एक ताज़ा शोध तो यही दावा कर रहा है. यह शोध एक प्रतिष्ठित साइंस पत्रिका PLOS में छपा है जिसमें यह बताया गया है कि भारत में महिलाओं की लंबाई घट रही है. 

इस शोध में दावा किया गया है कि जिन समुदायों या वर्गों में महिलाओं की उम्र घट रही है उन समुदायों में आदिवासी समुदाय सबसे अधिक प्रभावित हैं. यह शोध नेशनल फैमली हैल्थ सर्वे के आँकड़ों का विश्लेषण है. 

इन आँकड़ों के आधार पर शोध दावा करता है कि 2005 के आँकड़ों से 2015 के आँकड़ों की तुलना करने पर यह तथ्य सामने आता है कि भारत में महिलाओं की लंबाई में नेगेटिव ग्रोथ दर्ज हो रहा है.

इस शोध में दावा किया गया है कि जिन औरतों का जन्म 1990 या उसके बाद हुआ है उनमें यह ट्रेंड देखा गया है. शोधकर्ता इस तथ्य की तरफ़ भी ध्यान दिलाते हैं कि यह वही दौर था जब देश में नई आर्थिक नीति और उदारीकरण का दौर शुरू हुआ था.

ग़रीबी और आदिवासी औरतों की लंबाई में कमी का सीधा संबंध है

एक तरह से यह शोध इशारा कर रहा है कि उदारीकरण के बाद देश में अमीर और ग़रीब की खाई बढ़ती गई है. क्योंकि यह शोध बताता है कि भारत में औरतों की लंबाई कम होने का एक बड़ा कारण कुपोषण है. 

यानि ग़रीबी और कुपोषण का औरतों की लंबाई में नेगेटिव ग्रोथ का एक मज़बूत संबंध मिलता है.

शोध में बताया गया है कि देश में जो अमीर और संपन्न तबके हैं उनमें औरतों की लंबाई में पॉज़िटिव ग्रोथ दर्ज हुई है. यानि अमीर और संपन्न तबकों में औरतों की औसत लंबाई बढ़ रही है. 

इस शोध में दावा किया गया है कि आदिवासी समुदाय की औरतों की लंबाई पर अमीर ग़रीब की खाई ने सबसे ज़्यादा असर डाला है.

इस शोध में नेशनल हैल्थ सर्वे -3 के आँकड़ों के आधार पर बताया गया है कि बाक़ी समुदायों की तुलना में आदिवासी लड़कियों की औसत लंबाई में कम से कम 2 सेंटीमीटर की कमी दर्ज हुई है. 

मर्दों के मामले में भी आदिवासी समुदायों पर बुरा प्रभाव देखा गया है. इस शोध में दावा किया गया है कि आदिवासी पुरूषों में भी औसत लंबाई घट रही है. शोध में शामिल लोगों का दावा है कि इस ट्रेंड को जेनेटिक नहीं कहा जा सकता है.

उनका कहना है कि इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता है कि भारत में लोगों की औसत लंबाई घटने के पीछे जेनेटिक कारण हैं. उनका कहना है कि अगर ऐसा होता तो यह सभी समुदायों में होना चाहिए था.

शोधकर्ता इसकी सबसे बड़ी वजह खाद्य सुरक्षा का अभाव, कुपोषण और अमीर ग़रीब की बढ़ती ख़ाई को मानते हैं. 

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