आंध्र प्रदेश में गांजा की खेती से निपटने के लिए शनिवार, 30 अक्टूबर को पुलिस द्वारा विशाखापत्तनम जिले के आदिवासी गांवों में लगभग 80 एकड़ में फैले गांजा के बागान को नष्ट कर दिया गया. प्रदेश में गांजा फसलों की पहचान कर उन्हें नष्ट करने तथा उन क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने के लिए शनिवार को विशाखापत्तनम में ऑपरेशन परिवर्तन के नाम से एक महीने तक चलने वाला कार्यक्रम शुरू किया गया.
पुलिस, राजस्व और वन विभाग, एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA) और विशेष प्रवर्तन ब्यूरो (SEB) के अधिकारी सैटेलाइट इमेज और ड्रोन की मदद से गांजा की खेती की पहचान करने के लिए मिलकर काम करेंगे.
ऑपरेशन के पहले दिन शनिवार को नष्ट किए गए 80 एकड़ गांजा के बागान विशाखापत्तनम के जी मदुगुला मंडल के कई गांवों में फैले हुए थे.
एसईबी आयुक्त विनीत बृजलाल ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एजेंसी क्षेत्र में सभी चिन्हित स्थानों पर इसी तरह के ऑपरेशन किए जाएंगे जहां गांजे के बागान या स्टॉक को जब्त किया जाएगा और चरणबद्ध तरीके से नष्ट किया जाएगा.
अधिकारियों का लक्ष्य 30 नवंबर तक एजेंसी क्षेत्रों में कम से कम 15,000 एकड़ गांजा के बागान को नष्ट करना है. जिन क्षेत्रों में गांजे की खेती की जा रही है उनकी पहचान के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ करीब 10 टीमों का गठन किया गया है.
द हिंदू के मुताबिक विशाखापत्तनम के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक (एसपी) बी कृष्णा राव ने कहा कि गांजा के बागानों का पता लगाने के लिए सैटेलाइट इमेज, जीपीएस और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पुलिस इन गांवों में “गांजा की खेती के परिणामों” के बारे में “जागरूकता अभियान” भी आयोजित करेगी. उन्होंने लोगों से गांजा फसलों को अपनी इच्छा से नष्ट करने और वैकल्पिक फसलों पर स्विच करने की अपील की है.
जब से राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर हेरोइन की एक बड़ी खेप जब्त की जिसका जीएसटी नंबर विजयवाड़ा में पंजीकृत एक कंपनी से संबंधित है. विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने आरोप लगाया है कि आंध्र प्रदेश एक ड्रग हब में बदल गया है. राज्य में ड्रग पेडलिंग और खपत पर अलार्म बजा रहा है.
दरअसल विशाखापत्तनम पुलिस पिछले कुछ हफ्तों से जागरुकता कैंपेन चला रही है. इस कैंपेन के तहत एनडीपीएस मामलों में गिरफ्तार होने के क्या परिणाम होते हैं और इस तरह की भागीदारी स्थानीय युवाओं के करियर को कैसे प्रभावित कर सकती है इसके बारे में बताया जा रहा है.
हालांकि हाल ही में विशाखापत्तनम जिले के ही सिलेरू इलाक़े के आदिवासी अपनी मर्ज़ी से दूरदराज़ के गांवों में गांजा की खेती को नष्ट करने के लिए आगे आए थे. इतना ही नहीं आदिवासियों ने यह वादा भी किया कि वे अपने समुदाया के युवाओं को गांजे की खेती या तस्करी करने की अनुमति नहीं देंगे. इसके अलावा उन्होंने आजीविका के लिए दूसरी फ़सलों की खेती करने के लिए सरकार से मदद मांगी है.