HomeAdivasi Dailyआदिवासी लड़की के साथ छेड़छाड़ में हेडमास्टर गिरफ्तार

आदिवासी लड़की के साथ छेड़छाड़ में हेडमास्टर गिरफ्तार

कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस आवासीय विद्यालय में सभी छात्राएं आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय की हैं. जानकारी के मुताबिक  जब यह छात्रा अपने कमरे में झाड़ू दे रही थी तो हेडमास्टर उसके कमरे में पहुंच गए. उससे छेड़खानी करने लगे.

झारखंड की उपराजधानी दुमका जिले के सदर प्रखंड के कैराबनी गांव स्थित अनुसूचित जनजाति आवासीय बालिका मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर छेड़खानी का आरोप लगा है. यह आरोप विद्यालय की एक छात्रा ने प्रधानाध्यापक संजय कुमार पर लगाया है. 

घटना रविवार सुबह की है. घटना की जानकारी मिलते ही डीडब्ल्यूओ, दुमका सीओ और मुफस्सिल थाना प्रभारी विद्यालय पहुंचे. मामले की छानबीन की. प्रथम दृष्टया में मामले को सही पाने पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करते हुए हेडमास्टर को गिरफ्तार कर लिया.

बताया जाता है कि कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस आवासीय विद्यालय में सभी छात्राएं आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय की हैं. जानकारी के मुताबिक  जब यह छात्रा अपने कमरे में झाड़ू दे रही थी तो हेडमास्टर उसके कमरे में पहुंच गए. उससे छेड़खानी करने लगे.

इसकी जानकारी जब छात्रा के पिता को हुई तो वे ग्रामीणों के साथ स्कूल पहुंचे. पूरी जानकारी मिलने के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने हेडमास्टर की जमकर पिटाई कर दी और उसे रस्सी से बांध दिया.

ग्रामीणों ने पुलिस को घटना की सूचना दी. इस पर जिला कल्याण पदाधिकारी अशोक प्रसाद, दुमका सीओ जामुन रविदास और मुफस्सिल थाना प्रभारी उमेश राम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे.

पुलिस ने सबसे पहले आरोपी हेडमास्टर को हिरासत में लिया. बाद में प्राथमिकी दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया. इस पूरे मामले पर हेडमास्टर का कहना है कि उन पर गलत आरोप लगाया गया है. उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है. वहीं ग्रामीणों कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

पहाड़िया जनजाति के बारे में कुछ बातें

पहाड़िया जनजाति संताल परगना का आदिवासी समुदाय है. इस समुदाय को विकास के सभी मापदंडों पर अति पिछड़े और गरीब समुदायों में शामिल किया जाता है. यह हैरानी की बात है कि संताल परगना की मूल जनजातियों में सबसे पहली जनजाति में शामिल यह आदिवासी समुदाय आज भयानक ग़रीबी में जी रही है.

यह भी बताया जाता है कि इस जनजाति की आबादी लगातार घटी है. आदिवासी हक़ों के लिए काम करने वाले संगठन कहते हैं कि पहाड़िया जनजाति को लगातार उनकी ज़मीन उनसे हड़प ली गई. 

ब्रिटिश सरकार के ज़माने में पहाड़िया जनजाति के लिए 1338 वर्ग किलोमीटर जंगल उनके लिए छोड़ा गया था. 

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments