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कौन है रायमती घुरिया, जिन्हें कहा जाता है ओडिशा की ‘मिलेट्स की रानी’

रायमती घुरिया को अक्सर ‘ मिलेट्स की रानी ’ कहा जाता है. ऐसी इसलिए है क्योंकि इन्होंने केवल दुर्लभ मिलेट्स के 30 किस्मों को उगाया ही नहीं है बल्कि उन्हें संरक्षित करके भी रखा है.

आदिवासी महिला रायमती घुरिया (Raimati Ghiuria) को ‘क्वीन ऑफ मिलेट्स’ (Queen of Millets) कहा जाता है. ऐसा इसलिए है उन्होंने न केवल दुर्लभ मिलेट्स की 30 किस्मों को उगाया और संरक्षित किया है, बल्कि इन पौष्टिक अनाजों की खेती में सैकड़ों महिलाओं को प्रशिक्षित भी किया है.

कौन है रायमती घुरिया (मिलेट्स की रानी)

रायमती ओडिशा (odisha) के कोरापुट की रहने वाली हैं. हालांकि, आपको जानकार हैरानी होगी कि रायमती बस सातवीं कक्षा तक पढ़ी हैं. लेकिन मिलेट्स को लेकर उनका ज्ञान अद्भुत है.

हाल ही में आयोजित जी-20 सम्मेलन, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, चीन, इटली, यूरोप जैसे देश के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था और इसमें एक असाधारण अतिथि रायमती घुरिया भी शामिल थीं.

जी-20 सम्मलेन के दौरान रायमती को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने का भी अवसर मिला था. उन्होंने धान की कम से कम 72 पारंपरिक किस्मों और बाजरा की 30 किस्मों को संरक्षित किया है, जिसमें कुंद्रा बाटी, मंडिया, जसरा, जुआना और जामकोली शामिल है.

आजकल लोग मिलेट्स खाने से ज्यादा व्यापक रूप से बेचे जाने वाले चावल और गेहूं की ओर बढ़ गए हैं. इस चिंता को दूर करने के लिए आदिवासी किसान International Millets Year मनाने के लिए कदम उठा रहे हैं. जिसका लक्ष्य इन देशी लेकिन अक्सर उपेक्षित अनाजों में लोगों की रुचि को पुनर्जीवित करना है.

जब रायमती से उनकी प्रेरणा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने 70 वर्षीय कमला पुजारी के बारे में बताया. जिन्हें अपने पूरे जीवन में धान के बीज की सैकड़ों किस्मों का संरक्षण करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

16 साल की उम्र में शादी होने के बावजूद भी रायमती ने खेती-किसानी में रुचि नहीं छोड़ी और मिलेट्स संरक्षित करना जारी रखा.

वर्तमान में अपनी चार एकड़ भूमि पर मिलेट्स की खेती करते हुए, रायमती बेहतर तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे उनकी मिलेट्स की खेती की उपज और गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है.

पद्मश्री कमला पुजारी के मार्गदर्शन पर चलते हुए रायमती भी चेन्नई स्थित एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ) के साथ जुड़ी,ये एक गैर सरकारी संगठन है.

एमएसएसआरएफ का उद्देश्य आर्थिक विकास के लिए रणनीतियां बनाना और ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार उपलब्ध करवाना है.साल 2000 से फाउंडेशन ने वैज्ञानिक संरक्षण विधियों को अपनाने में रायमती की सहायता की है.

इनमें चावल सघनीकरण प्रणाली (एसआरआई), धान की खेती के लिए लाइन रोपाई विधि और फिंगर बाजरा के लिए लाइन रोपाई विधि शामिल हैं.

इसके अलावा रायमती ने अपने समुदाय के 2,500 अन्य किसानों को मिलेट्स खेती के लिए अलग अलग तकनीक अपनाने के लिए ट्रेनिंग दी है.

ओडिशा की Millets Queen के रूप में जानी जाने वाली रायमती अपने हर दिन के खाने में बाजरा के महत्व पर जोर देती हैं. मिलेट्स, जैसे फिंगर मिलेट (मंडिया) का उपयोग चपाती, डोसा जैसे स्नैक्स और नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने के लिए दलिया बनाने के लिए किया जाता है.

रायमती ने अपने गांव में एक फार्म स्कूल की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस स्कूल के माध्यम से वे मिलेट्स की खेती करने के लिए अलग-अलग तकनीकों की ट्रेंनिग देती है.

इस ट्रेंनिग के माध्यम से किसान बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद उगा सकते हैं, जिससे इनकी आय में भी वृद्धि होगी. वहीं इस पूरे सफर में रायमती के परिवार ने भी उन्हें काफी प्रोतसाहित किया.

मिलेट्स की खेती रायमती घुरिया के लिए एक बदलाव लाने वाला अनुभव रहा है. जिससे उन्हें महिला किसानों और किसान-उत्पादक कंपनियों के एक स्वयं सहायता समूह का नेतृत्व करने का मौका मिला.

Photo credit:- Times of India

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