केरल में इडमलयार रिजर्व फॉरेस्ट के जोखिम भरे इलाकों में स्थित अपने घरों को छोड़ने वाले 12 आदिवासी परिवारों को चार महीने में दूसरी बार अपने घरों को खोने की संभावना का सामना करना पड़ रहा है. इस बार केरल सरकार के जनजातीय विभाग ने परिवारों को इडमलयार आदिवासी हॉस्टल से बेदखल कर दिया है.
12 आदिवासी परिवार लंबे वक्त से अस्थायी आश्रय की मांग कर रहे थे क्योंकि 1 नवंबर को राज्य में स्कूल फिर से खुलने वाले हैं.
दरअसल इस साल जून में इडमलयार रिजर्व फॉरेस्ट में स्थित अरकप्पू कॉलोनी में रहने वाले बच्चों सहित 38 आदिवासियों ने खराब और असुरक्षित रहने की स्थिति के कारण अपना घर छोड़ दिया.
अरकप्पू एक दुर्गम इलाक़ा है और वे बाकी दुनिया से कटे हुए थे. मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में उन्हें एक अच्छे अस्पताल तक पहुंचने के लिए 80 किलोमीटर से ज़्यादा की यात्रा करनी पड़ती थी. न सड़क, न स्कूल, न अस्पताल, स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा नहीं होने से शिशुओं सहित कई लोगों की जान चली गई.
इतना ही नहीं जरूरी सामान खरीदने के लिए उन्हें सबसे नजदीक की राशन की दुकान या किराने की दुकान तक पहुंचने के लिए चार से छह घंटे पैदल चलना पड़ता था. आदिवासी परिवारों ने सरकारी अधिकारियों द्वारा उन्हें रहने के लिए उचित जगह उपलब्ध कराने में निष्क्रियता के विरोध में जून में अपनी कॉलोनी छोड़ दी.
कॉलोनी से बाहर जाने के बाद हालांकि परिवारों ने अरकप्पू से 28 किलोमीटर दूर वैशाली गुफा क्षेत्र के पास झोपड़ियां स्थापित करने और बसने की कोशिश की जहां सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. लेकिन उन्हें एर्नाकुलम जिले में वन विभाग के अधिकारियों ने बेदखल कर दिया था.
परिवारों को उचित पुनर्वास के वादे के साथ इडमलयार आदिवासी हॉस्टल में स्थानांतरित कर दिया गया था. लेकिन सरकार ने अब लोगों को नोटिस जारी कर उनके अस्थायी आश्रय को खाली करने के लिए कहा है.
जनजातीय विभाग द्वारा जारी नोटिस में अधिकारियों ने परिवारों को आदिवासी हॉस्टल छोड़ने के लिए कहा है जहां वे रह रहे हैं. क्योंकि स्कूल 1 नवंबर को फिर से खुलने वाले हैं और आदिवासी हॉस्टल इडमलयार आदिवासी स्कूल का हिस्सा है. हालांकि परिवारों ने कहा कि वे बाहर जाने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि सरकार ने वादा किया और हमें अभी तक पुनर्वास नहीं किया है.
चित्रा नीलांबुर, जो एक आदिवासी कार्यकर्ता के साथ मिलकर काम कर रही है ने कहा, “सरकार चाहती है कि परिवार वापस अरकप्पू चले जाएं. लेकिन निवासी जाने के लिए तैयार नहीं हैं. जब परिवारों ने वैशाली गुफा के पास टेंट लगाने की कोशिश की (कहा जाता है कि यह एक ऐसा स्थान है जहां समुदाय के पूर्वज रहते थे) तो सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी और वे उन्हें इस हॉस्टल में ले आए. अब स्कूल फिर से खोलने के नाम पर सरकार लोगों को उचित पुनर्वास प्रदान किए बिना उन्हें बेदखल करने की कोशिश कर रही है.”
हालांकि आदिवासी लोगों ने अधिकारियों से कहा कि वे किसी भी दूसरे वन क्षेत्रों में पुनर्वास के लिए तैयार हैं और विशेष रूप से वैशाली गुफा में लेकिन सरकार ने अभी तक कार्रवाई नहीं की है.
इस बीच आदिवासी विभाग के अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि सरकार का मानना है कि परिवारों को वापस अरकप्पू जाना चाहिए. एर्नाकुलम जिले में आदिवासी विकास अधिकारी अनिल कुमार ने कहा, “जबरदस्ती बेदखली नहीं होगी. लेकिन नवंबर में स्कूल फिर से खुलने के बाद बच्चों को अपनी कक्षाएं फिर से शुरू करने के लिए उन्हें यहां से जाना होगा. जनजातीय विभाग इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं ले सकता है. सरकार को करना होगा.”
(Image Courtesy: The News Minute)