झारखंड के खूंटी सांसदीय क्षेत्र के आदिवासी समुदाय को भय है कि केंद्र सरकार उनकी भूमि को बड़े उद्योगपतियों के फायदे के लिए उपयोग करना चाहती है. केंद्रीय जनजातीय मामलों और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा खूंटी से मौजूदा सांसद हैं.
झारखंड में लगभग एक साल से आंदोलन लोकतंत्र बचाओ अभियान 2024 चल रहा है. यह एक सामूहिक अभियान है जो ‘लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान’ और झारखंड जनाधिकार महासभा के अंतर्गत शुरु किया गया था.
झारखंड के मानवाधिकरण संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई आदिवासी विरोधी नीतियों के बारे में क्षेत्र के निवासियों को जागरुक करने के लिए इस अभियान की शुरुआत की थी.
इन सदस्यों ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से कहा बीजेपी सरकार ने समुदाय की 22 लाख एकड़ भूमि पर भूमि बैंक का निर्माण कर, ग्राम सभा की भूमि को छीना है. अब इसी तरह वन बैंक बनाने की तैयारी चल रही है. भूमि स्वामित्व कार्ड योजना के माध्यम से गांव की सार्वजनिक ज़मीन को ग्रामीणों के नियंत्रण से छीनने और पांचवीं अनुसूची, सीएनटी-एसपीटी कानून और खुनकट्टी प्रणाली (परिवारों के बीच जमीन के स्वामित्व की आदिवासी प्रथा) को खत्म करने की साजिश रची गई.
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विज्ञप्ति में यह भी कहा गया कि मोदी सरकार आदिवासियों की भूमि को लूटकर, कॉरपोरेट्स को दे रही है और इसके बदले में कम्पनी उन्हें चुनाव में आर्थिक मदद देती है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने के बाद इस भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है. इस योजना का उपयोग करके, भाजपा ने गोपनीय तरीके से 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का चुनावी चंदा इकट्ठा कर लिया है.
इस अभियान के सदस्यों ने सभी 14 लोकसभा क्षेत्रों में यह यात्रा शुरु की है.
इन सदस्यों ने शुक्रवार को खूंटी गांव के लोगों से मुलाकात भी की. अभियान के एक सदस्य मंथन ने बताया कि बातचीत के दौरान गांववालों ने केंद्र पर 10 वर्षों में उनके जल, भूम, जंगल तथा खनिजों पर प्रहार करने के आरोप लगाएं हैं. मंथन ने उन्हें बताया कि वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन करके, मोदी सरकार ने जंगलों पर ग्राम सभा के अधिकारों को छीनने और उन्हें पूंजीपतियों को सौंपने का फैसला किया है.
अर्जुन मुंडा ने 2019 के चुनावों में कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को हराकर 1,445 वोटों के मामूली अंतर से इस क्षेत्र में जीत हासिल की थी. मंथन ने कहा, आदिवासी ग्रामीण इस बात पर एकमत थे कि आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी सरकार को हराना चाहिए.