छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का आयोजन 19 अप्रैल से किया जा रहा है. इस तीन दिन के कार्यक्रम में देश भर के आदिवासी साहित्यकार शामिल होंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कल यानि 19 अप्रैल को राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल ऑडीटोरियम में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव की शुरुआत करेंगे.
आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि यह आयोजन देश भर में पारंपरिक एवं समकालीन साहित्य से परिचय तथा आधुनिक संदर्भ में उनके विकास की स्थिति ज्ञात करने के साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य में जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रही शोधार्थियों, साहित्यकारों, रचनाकारों को मंच प्रदान कर जनजातीय साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है.
राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव के साथ-साथ राज्य स्तरीय कला एवं चित्रकला तथा आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के तत्वाधान में किया गया.
साहित्य महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों से जनजातीय विषयों पर लिखने वाले जनजातीय एवं अन्य स्थापित और विख्यात साहित्यकारों, रचनाकारों, विश्वविद्यालयों के अध्येताओं, शोधार्थियों, विषय-विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है.
अब तक 80 शोधपत्र प्राप्त हो चुके हैं. शोधार्थियों को कार्यक्रम में शोध पढ़ने के लिए आमंत्रण पत्र भेजा जा चुका है. वरिष्ठ साहित्यकारों और विद्वानों के साथ परिचर्चा के लिए देश के विभिन्न जनजातीय राज्यों और विश्वविद्यालयों से लगभग 28 प्रोफेसरों एवं साहित्यकारों की सहमति प्राप्त हो चुकी है.
छत्तीसगढ़ राज्य के भी विद्वान जो महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं जनजातीय क्षेत्र में है, उनको भी आमंत्रित किया गया है. शोधपत्रों के सारंश को पुस्तक के स्वरूप में प्रकाशित किए जाने की भी तैयारी है.
राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य सम्मेलन परिचर्चा में झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मेघालय, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, कर्नाटक से विद्वान एवं प्रतिष्ठित साहित्यकार भाग लेंगे. इसके साथ ही तीन पद्मश्री सम्मान प्राप्त लोक संस्कृति के संरक्षण एवं विकास से संबंधित पद्मश्री दम्यन्ती बेसरा, ओडिया पद्मश्री हलधर नाग ओडिसा, पद्मश्री साकी नेती रामचन्द्रा (कोया जनजाति) तेलंगाना उद्घाटन समारोह में विशेष रूप से शामिल होंगे.
समारोह में विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के स्थापित तथा नवोदित साहित्यकारों को प्रोत्साहन के पृथक से 21 अप्रैल को प्रथम एवं द्वितीय सत्र में 74 रचनाकारों को आमंत्रित किया गया है. इसमें पारंपरिक जनश्रुतियों पर आधारित कथा, कहानियां, काव्य इत्यादि पर वाचिक परंपरा की शैली पर चर्चा होगी. साथ ही छत्तीसगढ़ के इस वाचिक परंपरा के साहित्य के संरक्षण के समाधान पर भी चर्चा की जाएगी.
डॉ. टेकाम ने बताया कि समारोह के प्रथम दिवस 19 अप्रैल को महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में देशभर से आए और छत्तीसगढ़ के स्थानीय साहित्यकारों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रत्यक्ष भेंटकर परिचय प्राप्त करेंगे. इसके साथ ही जनजातीय साहित्य के विषय में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा आधारभूत व्याख्यान दिया जाएगा. इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम में बस्तर बैण्ड का प्रदर्शन और जनजातीय नृत्य मुख्य आकर्षण होंगे. जनजातीय साहित्य सम्मेलन को प्रख्यात साहित्यकार भी सम्बोधित करेंगे.
पहले दिन 19 अप्रैल को प्रथम सत्र में जनजातीय साहित भाषा विज्ञान एवं अनुवाद, जनजातीय साहित्य में जनजातीय अस्मिता एवं जनजातीय साहित्य में जनजातीय जीवन का चित्रण पर प्रथम सत्र में 9 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे. जनजातीय समाजों की वाचिक परंपरा की प्रासंगिकता एवं जनजातीय साहित्य में अनेकता एवं चुनौतियों विषय पर द्वितीय सत्र में 12 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे.
दूसरे दिन यानि 20 अप्रैल को तृतीय सत्र में जनजातीय साहित्य में लिंग संबंध मुद्दे, जनजातीय कला साहित्य, जनजातीय साहित्य में सामाजिक-सांस्कृतिक संघर्ष जनजातीय साहित्य मुद्दे, चुनौतियां एवं संभावना विषय पर 12 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे. जनजातीय विकास मुद्दे एवं चुनौतियों पर चतुर्थ सत्र में 15 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे.
Jai seba jai Johar jai adibasi jai gondwana