विशाखापत्तनम के सिलेरू इलाक़े के आदिवासी अपनी मर्ज़ी से दूरदराज़ के गांवों में गांजा की खेती को नष्ट करने के लिए आगे आए हैं. सिलेरू पुलिस सीमा के तहत आने वाले गुम्मीरेवुलु पंचायत के चार गांवों के आदिवासियों ने अपनी आजीविका के लिए गांजे की खेती को बढ़ावा ने देने का संकल्प भी लिया है.
ज़िला पुलिस पिछले कुछ हफ्तों से जागरुकता कैंपेन चला रही है. इस कैंपेन के तहत एनडीपीएस मामलों में गिरफ्तार होने के क्या परिणाम होते हैं, और इस तरह की भागीदारी स्थानीय युवाओं के करियर को कैसे प्रभावित कर सकती है, इसके बारे में बताया जा रहा है.
सिलेरू थाने के सब-इंस्पेक्टर पी. रंजीत गांवों में, बस स्टेशनों और दूसरी जगहों पर आदिवासी समुदाय के नेताओं के साथ चर्चा भी कर रहे हैं. बुधवार को कई स्थानीय लोगों ने इलाक़े के अंदरूनी गांवों में गांजा के बागानों का पता लगाया और क़रीब 15 एकड़ में लगी फ़सल को नष्ट कर दिया.
इन आदिवासियों ने यह वादा भी किया कि वे अपने समुदाया के युवाओं को गांजे की खेती या तस्करी करने की अनुमति नहीं देंगे. इसके अलावा उन्होंने आजीविका के लिए दूसरी फ़सलों की खेती करने के लिए सरकार से मदद मांगी है.
उन्होंने पुलिस से स्थानीय युवाओं को निशाना न बनाने का भी अनुरोध किया.
दरअसल, पिछले कुछ दिनों में विशाखापत्तनम के एजेंसी इलाक़ों के आदिवासी युवाओं के गांजा की तस्करी में इस्तेमाल होने की कई ख़बरें आई हैं.
आंध्र प्रदेश के स्पेशल एनफ़ोर्समेंट ब्यूरो के मुताबिक़ तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कई दूसरे राज्यों के तस्कर आंध्र प्रदेश में गांजा उगाने वालों के साथ संपर्क कर अपना व्यापार चला रहे हैं.
इस तस्करी के लिए आदिवासी युवाओं को पैसे का लालच देकर फंसाया जा रहा है.
वाहनों की जांच
अब पुलिस ने गांजा की तस्करी पर रोक लगाने के लिए वाहनों की जांच तेज़ कर दी है. अरकू पुलिस ने शुक्रवार को बस अड्डे समेत कई रूटों और कई सार्वजनिक जगहों पर वाहनों की जांच की. गांजा की खेती पर अंकुश लगाने के लिए अरकू मंडल के गांवों में भी जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं.
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