उत्तरी दिल्ली में अवैध रूप से चलाई जा रही प्लेसमेंट एजेंसी से सोमवार को 13 से 17 साल की दस नाबालिग आदिवासी लड़कियों को छुड़ाया गया. नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन (BBA) ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR), एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) और दिल्ली पुलिस के सहयोग से उत्तरी दिल्ली में चल रही एक अवैध प्लेसमेंट एजेंसी से इन सभी नाबालिग आदिवासी लड़कियों को मुक्त करवाया है.
इन सभी लड़कियों को अवैध तरीके से झारखंड के दक्षिणी सिंहभूम जिले से लाया गया था. इन्हें अच्छे काम व पैसे का लालच देकर यहां लाया गया था. पुलिस ने इस मामले में दो के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
बीबीए ने कहा, “पांच लोगों की पहचान आदिवासी लड़कियों की तस्करी में शामिल लोगों के रूप में की गई है. जिसमें से दो आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई है. पुलिस अभी भी तीन और आरोपियों की संलिप्तता की जांच कर रही है. प्लेसमेंट एजेंसी पिछले 10 वर्षों से काम कर रही है.”
बीबीए के अनुसार, प्लेसमेंट एजेंसी जनता विहार, मुकुंदपुर, उत्तरी दिल्ली से चलाई जा रही थी. बचाई गई 10 लड़कियों में से तीन पिछले दो साल से दिल्ली और उसके आसपास के अलग-अलग बंगलों में काम कर रही हैं.
आरोपी लड़कियों को बेहतर आय और आजीविका का वादा करके मुंबई और पंजाब सहित अन्य राज्यों में भी तस्करी करते थे. बीबीए अधिकारियों ने कहा कि अधिकांश बचाई गई लड़कियों को भुगतान नहीं किया गया था क्योंकि प्लेसमेंट एजेंसी संचालकों ने उन्हें बाद में एकमुश्त भुगतान करने का वादा किया था.
सभी लड़कियों का मेडिकल टेस्ट करवा लिया गया है. बचाव अभियान के बाद सोमवार को बालिकाओं को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के समक्ष पेश किया गया.
बीबीए के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा कि हमारा संगठन उन प्लेसमेंट एजेंसियों की गतिविधियों के खिलाफ है, जो गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों को लालच देकर या बहला-फुसलाकर ट्रैफिकिंग का शिकार बनाती हैं.
उन्होंने आगे कहा, “हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह आने वाले समय में ऐसी अवैध गतिविधियों में लिप्त रहने वाली प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ एक कठोर कानून लाए.”
जोहार साथियों झारखंड का सबसे बड़ा समस्या यही है और उसका दोषी झारखंड के तमाम नेता और मंत्री हैं झारखंड से बहुत सारे नौजवान युवती साथियों को काम के लालच में बड़े-बड़े महानगरों में जाकर बेच दिया जाता है और बाद में उनका शारीरिक अत्याचार किया जाता है