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गांजा की तस्करी के लिए आदिवासी युवाओं का हो रहा इस्तेमाल

अधिकारियों का कहना है कि तस्कर आदिवासी लोगों और युवाओं, ख़ासकर छात्रों को मामूली रक़म देकर दूसरे राज्यों में ले जाने के लिए फंसा रहे हैं.

आंध्र प्रदेश के स्पेशल एनफ़ोर्समेंट ब्यूरो (SEB) के अधिकारियों ने कहा है कि राज्य में कई आदिवासी युवाओं को गांजा की तस्करी में इस्तेमाल किया जा रहा है. तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कई दूसरे राज्यों के तस्कर आंध्र प्रदेश में गांजा उगाने वालों के साथ संपर्क कर अपना व्यापार चला रहे हैं.

SEB के गठने के बाद, ब्यूरो ने पुलिस के साथ मिलकर राज्य में 150 करोड़ रुपए से ज़्यादा का लगभग 2.70 लाख किलोग्राम गांजा ज़ब्त किया है. अधिकारियों का कहना है कि तस्कर आदिवासी लोगों और युवाओं, ख़ासकर छात्रों को मामूली रक़म देकर दूसरे राज्यों में ले जाने के लिए फंसा रहे हैं.

गांजा तस्करों के खिलाफ़ 2,039 लाख मामले दर्ज किए गए हैं, और 5,411 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने गांजा ट्रांस्पोर्ट करने के लिए इस्तेमाल किए गए 1,404 वाहनों को भी जब्त किया है. एसईबी आयुक्त विनीत बृजलाल ने द हिंदू को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में पड़ोसी राज्यों की महिलाएं और स्मगलर शामिल हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि एसईबी ने गांजा व्यापार के खिलाफ एक युद्ध शुरू किया है. आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र और विशाखापत्तनम और पूर्वी गोदावरी ज़िले के आदिवासी इलाक़ों में पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान की योजना बनाई गई है. इसके तहत छापे मारे जाएंगे, और गांजा के खेतों को नष्ट किया जाएगा.

इसके अलावा, एक्साइज़ विभाग, रेलवे पुलिस (जीआरपी) और राजस्व निदेशालय (डीआरआई) के अधिकारियों ने मामले दर्ज किए हैं और गांजा ज़ब्त किया है.

चौकसी बढ़ाई गई

कृष्णा ज़िले के एसपी सिद्धार्थ कौशल ने बताया है कि गांजा तस्करी को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों और सीमा चौकियों पर चौकसी बढ़ा दी गई है. पुलिस ने कई ऐसे युवाओं की पहचान की है जो गांजा के आदी हैं. उनके माता-पिता के साथ उनकी काउंसलिंग भी की जा रही है. अब तक 100 से ज़्यादा छात्रों की काउंसलिंग की जा चुकी है.

अधिकारियों ने यह भी कहा कि स्मगलिंग करने वाले अलग-अलग तरीक़ों से गांजा ट्रांस्पोर्ट कर रहे थे.  दोपहिया वाहनों, कारों, बसों और लॉरियों में प्रतिबंधित सामान ले जाने वालों को चेकिंग के बारे में सूचित करने के लिए वो पायलट वाहनों का उपयोग कर रहे थे.

पश्चिम गोदावरी ज़िले के एसपी राहुल देव शर्मा ने कहा कि युवाओं को गांजा की लत से बचाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में नशीली दवाओं के खिलाफ़ अभियान शुरू किया गया है.

कई मामलों में, दूसरे राज्यों के सरगना आदिवासी लोगों और युवाओं का इस्तेमाल स्टॉक इधर से उधर ले जाने के लिए कर रहे थे. एसईबी के एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस इन सरगनाओं को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि तस्कर एजेंसी इलाक़ों से 1,500 रुपए प्रति किलोग्राम पर गांजा खरीद रहे हैं, जो दूसरे में 5,000 रुपए प्रति किलोग्राम और मेट्रो शहरों में 10,000 रुपए प्रति किलोग्राम से ज़्यादा में बेचा जाता है.

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  1. […] विशाखापत्तनम के एजेंसी इलाक़ों के आदिवासी युवाओं के गांजा की तस्करी में इस्तेमाल होने की कई ख़बरें आई […]

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