छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नारायणपुर एसपी उदय किरण को हटाने का आदेश दिया है. 2015 बैच के इस अधिकारी पर यह कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि उसने अपने आदिवासी ड्राइवर की आधिकारिक गाड़ी की सफ़ाई न करने पर पिटाई कर दी थी.
उदय किरण ने ड्राइवर कांस्टेबल जयलाल नेताम की इतनी बुरी तरह पीटा कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
घटना के बाद आदिवासी संगठनों ने पुलिस अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. राज्य सरकार ने पहले बस्तर आईजी द्वारा जांच का आदेश दिया, लेकिन फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया कि अधिकारी को आदिवासी ज़िले नारायणपुर से ट्रांस्फ़र किया जा रहा है.
बघेल ने अपने ट्वीट में कहा, “पुलिस अधिकारियों से अपेक्षा होती है कि वे अपराधियों से सख़्त व्यवहार करें. अमर्यादित होकर मातहत कर्मचारी के साथ मारपीट करना क्षमा योग्य नहीं है. असंयमित व्यवहार करने वाले नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक को हटाने के निर्देश जारी किए गए हैं.”
इससे पहले भी इस अधिकारी के खिलाफ़ कई शिकायतें मिल चुकी हैं, जब उनकी बिलासपुर और महासमुंड ज़िलों में पोस्टिंग थी.
बस्तर के दो दिवसीय दौरे पर आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले तो मामले की जांच के आदेश दिए और आईजी पी सुंदरराज को जांच कर रिपोर्ट सौंपने और कार्रवाई करने को कहा. सीएम ने कहा कि कोई भी कानून व्यवस्था से ऊपर नहीं है और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
बस्तर में आदिवासी संगठनों ने इस मामले पर गुस्सा दिखाया, और बस्तर के पूर्व आदिवासी सांसद सोहन पोटाई ने आईपीएस अफ़सर को उनके पद से तत्काल हटाने और उनके खिलाफ़ एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत एफ़आईआर दर्ज करने की मांग की.
पोटाई ने कहा कि इससे पहले भी इस तरह की घटनाओं के बावजूद अफ़सर के ख़िलाफ़ कभी कार्रवाई नहीं की गई. पोटाई ने यह भी कहा कि अगर उदय किरण को नहीं हटाया गया, और उनके खिलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होगा.
आदिवासी संगठनों के दूसरे प्रतिनिधि भी नेताम से मिलने अस्पताल पहुंचे और एसपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर विरोध की चेतावनी दी.
हालांकि, एसपी उदय किरण ने ड्राइवर की पिटाई से इनकार किया है. उन्होंने कहा, “मैंने बस उसे डांटा, चेतावनी दी कि अगर वह अपना काम ठीक से नहीं करेगा, तो उसे नौकरी से हटा दिया जाएगा.”
यह पहली बार नहीं है कि आईपीएस अधिकारी उदय किरण के ख़िलाफ़ इस तरह की शिकायतें आई हों. अपनी पिछली पोस्टिंग के दौरान भी उन्होंने बाहुबल का इस्तेमाल किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में छत्तीसगढ़ पुलिस को महासमुंड ज़िले के एक पुलिस स्टेशन में कुछ खिलाड़ियों, जिसमें लड़कियां भी शामिल थीं, की पिटाई करने के लिए उदय किरण के खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. मामला 2018 का है. इस मामले में थाने के सामने विरोध करने पहुंचे लोगों पर भी उदय किरण ने दूसरे पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर लाठियां बरसाईं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच सीआईडी के तहत की जाएगी, लेकिन राज्य पुलिस ने अभी तक एफ़आईआर दर्ज नहीं की है. प्रोबेशनरी ऑफिसर के तौर पर उदय किरण पहले बिलासपुर थाने में बीजेपी कार्यकर्ता की पिटाई को लेकर विवादों में रहे थे.