हाल ही में नागालैंड जनजातीय मामलों के विभाग ने अपने स्टाफ सदस्यों और अधिकारियों को हर बुधवार को कार्यालय समय के दौरान हर एक जनजाति की पारंपरिक पोशाक पहनने का निर्देश दिया है. समृद्ध नागा पारंपरिक पोशाक को संरक्षित रखने और बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है.
नागालैंड के उच्च शिक्षा और जनजातीय मामलों के मंत्री और राज्य के बीजेपी अध्यक्ष तेमजेन इमना अलोंग ने इस पहल की सराहना की है. अपने एक ट्वीट में उन्होंने कहा, “मैं आदिवासी मामलों के विभाग और नागालैंड सरकार के हर बुधवार को पारंपरिक पोशाक पहनने की पहल शुरू करने के फैसले की सराहना करता हूँ. इससे नागा परंपराओं को संरक्षित करने में मदद मिलेगी.”
संयुक्त निदेशक और जनजातीय मामलों के विभाग के प्रमुख, चाइना फोम के निर्णय को नागालैंड की कई जनजातियों की समृद्ध पारंपरिक पोशाक की अवधारणा और प्रचार के संबंध में एक विनम्र कदम करार दिया गया है.
जनजातीय मामलों के संयुक्त निदेशक और एचओडी चाइना फोम ने नागालैंड की कई जनजातियों की समृद्ध पारंपरिक पोशाक को बढ़ावा देने के संबंध में एक अच्छी पहल बताया.
चाइना फोम ने कहा कि इस विभाग में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए यह बेहतर पहल होगी. उन्होंने यह भी बताया कि नागालैंड के अन्य विभागों के विपरीत राज्य के गठन के बाद से राज्य जनजातीय मामलों का विभाग सिर्फ दो ही साल पुराना है.
इस पहल के लिए एक अधिसूचना 27 अगस्त को जारी की गई थी और 1 सितंबर को लागू हुई थी. जिसके बाद जनजातीय मामलों के निदेशालय के सभी स्टाफ सदस्यों ने बुधवार को पारंपरिक पोशाक पहनना शुरू कर दिया है.
(Image Credit- Nagaland Page)
नागा लोग रंगों से खूब प्यार करते हैं और ये महिलाओं द्वारा डिजाइन और बुने हुए शॉल और कपड़ों को देखकर पता चलता है. नागा शॉल की एक खास विशेषता यह है कि इसके तीनों हिस्सों को अलग-अलग बुना जाता है और एक साथ सिला जाता है.
पुरुषों और महिलाओं के लिए शॉल और रैपराउंड गारमेंट्स (आमतौर पर मेखला कहा जाता है) के डिजाइन अलग-अलग होते हैं. कपड़ों के पैटर्न हर एक समूह के लिए पारंपरिक हैं और कपड़े महिलाओं द्वारा बुने जाते हैं. नागा समुदाय के गहनों में भी विविधता देखने को मिलती है. वो कांच, पत्थर, पंजे, सींग, धातु, हड्डी, लकड़ी, बीज, बाल और मोतियों का इस्तेमाल कर के बनाया जाता है.
Good news 🙏🙏🙏sir