आदिवासी समुदाय और जंगल का बेहद करीबी रिश्ता है. आदिवासी जंगल की ख़ासियत और ख़तरों को दुनिया के बाकी लोगों से बेहतर समझते हैं.
जंगल के बारे में आदिवासियों की यह समझ सदियों प्रकृति के इतने करीब रहने का परिणाम है. लेकिन आदिवासी समुदायों में भी कुछ समूह ऐसे हैं जो अपने आप-पास के जंगल के बारे में कुछ ख़ास जानकारी रखते हैं.
मसलन भारत के कर्टनाटक राज्य के हिक्की-पिक्की समुदाय (Hikki Pikki Tribe) के लोग जड़ी-बूटी के ज्ञानी हैं. ऐसा ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासियों (Baiga tribe) के बारे में भी माना जाता है.
हाल ही में मैं भी भारत की टीम मध्य प्रदेश के डिंडोरी ज़िले में थी. यहां पर हमारी मुलाकात बैरिया बैगा से हुई. वे आज भी जड़ी बूटी से लोगों का इलाज करते हैं.
बैरिया के 5 बेटे हैं और उन्होंने पांचों को ही जड़ी बूटी खोजने और उनसे लोगों का इलाज करना सिखाने की कोशिश की है. लेकिन उनके एक बेटे लाल सिंह ने ही इस काम में ज़्यादा रुचि दिखाई है.
बैरिया बैगा के साथ हमें जंगल में जाने का मौका मिला. उन्होंने हमें सफ़ेद मूसली सहित कई अन्य जड़ी-बूटी ढूंढ कर दिखाईं. आप उपर वीडियो लिंक पर क्लिक करके पूरी कहानी देख सकते हैं.
[…] The Baga community mainly resides in Rajnandgaon, Kawardha, Mungeli, Gaurela-Pendra-Margi (GPM), Manendra-Bharatpur-Chirmiri, and Bilaspur in the state. Baga Community Cosmetics also exists in Madhya Pradesh ( मध्य प्रदेश में बैगा समुदाय). […]
[…] और बिलासपुर जिलों में निवास करता है. मध्य प्रदेश में बैगा समुदाय निकटवर्ती जिलों में भी रहता […]