जब राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर खीरी की एक आदिवासी महिला, आरती राणा, को ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित किया, तो वह खीरी की सभी महिलाओं के लिए एक आदर्श बन गईं.
राणा को महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने के लिए एक प्रेरणा के रूप में पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
46 साल की आरती राणा दुधवा टाइगर रिजर्व के आसपास तराई क्षेत्र में रहने वाली थारू आदिवासी समुदाय की हैं. उन्होंने अपने गांव के स्कूल में आठवीं तक पढ़ाई की है, लेकिन अपनी सीमित स्कूली शिक्षा को आरती ने कभी अपने अपनों के बीच नहीं आने दिया.
आरती राणा कालीन, टोकरी, बैग, सजावट की चीज़ें समेत हस्तशिल्प वस्तुएं बनाने में कुशल हैं. लेकिन शुरुआत में, मार्केटिंग की कमी की वजह से आरती को अपने हस्तशिल्प कौशल के माध्यम से आजीविका कमाने में काफी असुविधा हुई.
एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना (आईटीडीपी) के परियोजना अधिकारी उमेश कुमार सिंह के मुताबिक, “लगभग 15 साल पहले, आरती राणा का काम आईटीडीपी के तहत कवर किया गया था. उन्हें उचित ट्रेनिंग और टूल-किट दिया गया, और उनके हस्तशिल्प कौशल को रिफाइन किया गया. बाद में, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत, उन्हें एक दर्जन से ज्यादा दूसरी महिला सदस्यों को शामिल करते हुए एक सेल्फ हेल्प ग्रुप, गौतम स्वरोजगार, का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया.”
उनकी कला और कौशल के लिए उन्हें कई दूसरे पुरस्कारों से भी नवाजा गया है. इनमें थारू महोत्सव में रानी लक्ष्मीबाई बहादुरी पुरस्कार, ग्राम स्वराज पुरस्कार आदि शामिल हैं.
राणा अब अपने सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए अपने समुदाय की सैकड़ों आदिवासी महिलाओं को रोजगार देती करती हैं. उनके उत्पादों को एक जिला एक उत्पाद (ODOP) कार्यक्रम के लिए भी चुना गया है.
नेपाल सीमा से सटे चंदन चौकी के सुदूर आदिवासी इलाके की रहने वाली आरती राणा नारी शक्ति पुरस्कार के लिए चुनी गई 29 महिलाओं में से एक हैं.
Sir ek video tharu samaj se bhi banao