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आदिवासी बच्चों के लिए मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों (EMRS) की स्थापना के लक्ष्य से दूर खड़ी है सरकार

सरकार ने संसद में इन स्कूलों के बारे में राज्यवार ब्यौरा भी पेश किया है. इस ब्यौरे से पता चलता है कि एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों की स्थापना और उन्हें फ़ंक्शनल बनाने के मामले में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, असम, मणिपुर, मेघालय और मिज़ोरम जैसे राज्यों में बिलकुल या मामूली प्रगति हुई है.

1998-99 में सरकार ने तय किया था कि आदिवासी बच्चों को उनके ही परिवेश में शिक्षा के अच्छे साधन उपलब्ध कराए जाएँगे. इस सिलसिले में एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों (EMRS) की स्थापना का निर्णय हुआ था. 

इस तरह के हर स्कूल में कम से कम 480 आदिवासी बच्चों के रहने और पढ़ने की क्षमता का लक्ष्य रखा गया था. 

साल 2018-19 के बजट में यह व्यवस्था की गई थी कि देश के हर उस ब्लॉक में जहां की कम से कम आधी आबादी आदिवासी है वहाँ कम से कम एक एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल की स्थापना की जाएगी. 

इसके साथ ही यह भी तय हुआ था कि अगर किसी ब्लॉक में 20,000 से ज़्यादा आबादी आदिवासी है तो वहां पर भी ये स्कूल होंगे. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 2022 का लक्ष्य रखा गया है. 

इस सिलसिले में सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने देश के 452 ऐसे ब्लॉक्स की पहचान की है जहां इन स्कूलों की स्थापना की जाएगी. सरकार ने पिछले 2 साल में 388 नए स्कूल खोलने की अनुमति दी है. लेकिन इनमें से सिर्फ़ 85 स्कूलों में ही दाखिले और पढ़ाई शुरू हो पाई है.

संसद में इस बारे में जानकारी देते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय (Tribal Affairs Ministry ) ने कहा है कि सरकार की योजना 2022 तक कुल 740 एकलव्य स्कूल खोलने की है. इसका मतलब है कि सरकार को इस साल कम से कम 152 एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों को अनुमति देनी होगी.

लेकिन सरकार ने जिस गति से पिछले एक साल में स्कूलों को अनुमति दी है और जिस गति से स्कूलों को फ़ंक्शनल बनाने का काम हुआ है, यह लक्ष्य दूभर लगता है. 

सरकार ने संसद में इन स्कूलों के बारे में राज्यवार ब्यौरा भी पेश किया है. इस ब्यौरे से पता चलता है कि एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों की स्थापना और उन्हें फ़ंक्शनल बनाने के मामले में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, असम, मणिपुर, मेघालय और मिज़ोरम जैसे राज्यों में बिलकुल या मामूली प्रगति हुई है.

सरकार ने जम्मू कश्मीर में आदिवासी बच्चों के लिए 6 एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल सैंक्शन किए हैं. लेकिन राज्य में अभी एक भी स्कूल चालू नहीं है. इसी तरह से मेघालय में 15 स्कूल की स्थापना को मंज़ूरी दी गई है लेकिन यहाँ भी एक भी स्कूल शुरू नहीं हुआ है. 

इस मामले में बिहार का स्कोर भी शून्य ही है. यहाँ पर सरकार ने 3 स्कूलों को मंज़ूरी दी है. 

झारखंड में इस योजना के तहत 99 एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों को मंज़ूरी दी है. लेकिन अभी तक राज्य में सिर्फ़ 13 स्कूल ही चालू अवस्था में हैं. 

दूसरे राज्य जहां पर कई बड़ी आदिवासी आबादी रहती है उनमें से छत्तीसगढ़ में 77 स्कूलों को मंज़ूरी दी गई है और फ़िलहाल उनमें से 42 स्कूल चालू हालत में हैं. मध्य प्रदेश में 62 स्कूलों को मंज़ूरी दी गई है और फ़िलहाल 45 स्कूल चालू हालत में हैं. 

गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक की हालत इस मामले में बेहतर नंबरी आती है. गुजरात के 35 मंज़ूरी मिले स्कूलों में से सभी चालू हैं. महाराष्ट्र में मंज़ूर 30 में से 24 स्कूल चालू हालत में हैं. आंध्र प्रदेश में 26 में से 19 स्कूल चालू हालत में हैं. 

लेकिन इन चालू हालत के स्कूलों में ज़्यादातर पुराने स्कूल हैं. सरकार ने संसद में पेश सूचि में यह स्पष्ट नहीं किया है कि किस राज्य में कितने स्कूल हैं जो 2018-19 के बजट प्रस्ताव के बाद मंज़ूर हुए और अब चालू अवस्था में हैं. 

अलबत्ता सरकार ने जो आँकड़े पेश किए हैं उनसे यह ज़रूर पता चलता है कि इस दौरान (2018-19 से 2020-21) सरकार ने कुल 388 नए एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों को मंज़ूरी दी है जिसमें से सिर्फ़ 85 ही चालू हो पाए हैं. 

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