HomeAdivasi Dailyजानिए कांग्रेस के घोषणापत्र में आदिवासियों के लिए 6 संकल्प क्या हैं

जानिए कांग्रेस के घोषणापत्र में आदिवासियों के लिए 6 संकल्प क्या हैं

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी वादा किया कि कांग्रेस उन सभी बस्तियों या बस्तियों के समूहों को अधिसूचित करेगी जहां आदिवासी समुदाय सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में सबसे बड़ा सामाजिक समूह है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने मंगलवार को आदिवासी समुदाय (Tribal community) के लिए छह गारंटी वाले पार्टी के घोषणापत्र – ‘आदिवासी संकल्प’ (Adivasi Sankalp) का अनावरण किया.

कांग्रेस के घोषणापत्र में आदिवासियों के लिए लिया गया छह संकल्प है – सुशासन, सुधार सुरक्षा, स्वशासन,स्वाभिमान और सब प्लान.

अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने वन अधिकार अधिनियम (FRA) को प्रभावी ढंग से लागू करने के राष्ट्रीय मिशन से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा वन संरक्षण और भूमि अधिग्रहण अधिनियमों में किए गए सभी संशोधनों को वापस लेने तक वादा किया.

खड़गे ने अनुसूचित जाति योजना और जनजातीय उप-योजना को पुनर्जीवित करने सहित गारंटियों को सूचीबद्ध किया. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस आदिवासी अधिकारों के साथ-साथ उनकी “जमीन, जंगल और जल” की रक्षा करेगी.

गारंटियों के बारे में विस्तार से बताते हुए खड़गे ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो एफआरए के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन स्थापित किया जाएगा, एक स्पेशल बजट रखा जाएगा और विशेष कार्य योजना तैयार की जाएगी.

उन्होंने कहा, “हम 1 वर्ष के भीतर सभी लंबित एफआरए दावों का निपटान सुनिश्चित करेंगे और 6 महीने के भीतर सभी अस्वीकृत दावों की समीक्षा करने के लिए एक प्रक्रिया स्थापित करेंगे.”

2006 में यूपीए सरकार द्वारा अधिनियमित वन अधिकार अधिनियम, वनवासियों को उस भूमि का मालिकाना हक देने के बारे में है जिस पर वे रह रहे हैं. 15 से अधिक वर्षों के बाद व्यक्तिगत दावा आवेदनों में से लगभग आधे का निपटान किया जा चुका है.

कांग्रेस का दूसरा वादा “मोदी सरकार द्वारा वन संरक्षण और भूमि अधिग्रहण अधिनियमों में किए गए सभी संशोधनों को वापस लेना” है. जिसके बारे में उसने दावा किया था कि “इससे आदिवासियों को बहुत परेशानी हुई है.”

1980 के वन संरक्षण अधिनियम (FCA) पर भाजपा सरकार द्वारा लाया गया महत्वपूर्ण संशोधन वन की परिभाषा से संबंधित है. 1996 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने यह सुनिश्चित किया था कि एफसीए के प्रयोजनों के लिए जंगल की शब्दकोश परिभाषा का उपयोग किया जाना चाहिए.

पिछले साल मोदी सरकार एफसीए में एक संशोधन लेकर आई थी. जिसका एक प्रावधान यह था कि कानून को केवल सरकारी रिकॉर्ड में वन के रूप में वर्गीकृत भूमि पर लागू किया जाए.

खड़गे ने यह भी वादा किया कि कांग्रेस उन सभी बस्तियों या बस्तियों के समूहों को अधिसूचित करेगी जहां आदिवासी समुदाय सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में सबसे बड़ा सामाजिक समूह है.

कांग्रेस PESA के अनुसार राज्यों में कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि ‘ग्राम सरकार’ और ‘स्वायत्त जिला सरकार’ की स्थापना हो सके.

कांग्रेस पार्टी ‘MSP का अधिकार’कानून लाएगी, जिसमें लघु वन उपज (MFP) को भी कवर किया जाएगा.

इसके अलावा कांग्रेस का दावा है कि वो अनुसूचित जाति योजना और जनजातीय उप-योजना को पुनर्जीवित करने और इसे कानून द्वारा लागू करने योग्य बनाएगी, जैसा कि कुछ राज्यों में कांग्रेस सरकारों ने किया है.

खड़गे ने कहा, “उन्हें (आदिवासियों को) परेशान किया जा रहा है, उनकी ज़मीनें छीन ली जा रही हैं, उनसे बंधुआ मज़दूर के रूप में काम कराया जा रहा है. हम इस गारंटी के माध्यम से उन्हें इस सब से मुक्त करना सुनिश्चित करेंगे.”

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