जहां एक तरफ़ देश के ग्रामीण इलाक़ों में कोरोनावायरस महामारी तेज़ी से फैल रही है, केरल के इडुक्की ज़िले की एक छोटी सी आदिवासी बस्ती ने वायरस को रोककर रखा है.
पिछले डेढ़ साल में जबसे वायरस भारत में फैलना शुरु हुआ, एडमलकुडी में एक भी कोविड-19 का मामला सामने नहीं आया है. बस्ती के निवासियों के अनुसार, इसके पीछे कड़ी निगरानी और सामूहिक गतिविधियाँ हैं.
कोविड के दिशा-निर्देशों का यहां सख्ती से पालन किया जाता है. शारीरिक दूरी, हाथों का हाइजीन, उचित मास्किंग और यात्रा पर प्रतिबंध जैसे नियमों के उल्लंघन का भारी जुर्माना लगता है.
मुन्नार से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में बाहरी लोगों को आने की अनुमति नहीं है. अगर किसी सरकारी कर्मचारी कको यहां आना हो, तो उन्हें 48 घंटे पहले ली गई RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट देनी पड़ती है.
इस गाँव में बहुसंख्यक आबादी मुडुवा जनजाति की है. एडमलकुडी से प्रेरित कई आदिवासी बस्तियों ने खुद का लॉकडाउन लागू किया है.
यह ऐसे समय में हो रहा है जब राज्य की 80 से ज़्यादा पंचायतों में टेस्ट पॉज़िटिविटी रेट (TPR) काफ़ी ज़्यादा है. त्रिशूर ज़िले की तीन पंचायतों में टीपीआर 50% से ऊपर है, एर्णाकुलम में यह 75% से ऊपर है.
देवीकुलम के उपज़िलाधिकारी एस प्रेमकृष्णन ने मिडिया को बताया कि हर हफ्ते गाँव के दो लोग ज़रूरी सामान खरीदने के लिए बाहर जाते हैं, और उन्हें दो सप्ताह के लिए अलग रहना पड़ता है.
एक पहाड़ी इलाके पर बसे इस गांव का बाहरी दुनिया से सड़क संपर्क नहीं है, और यह काफ़ी हद तक आत्मनिर्भर है. यहां के अधिकांश लोग आसपास के वन और जनजातीय विभागों में काम करते हैं.
इस बीच केरल में महामारी के कहर में कोई कमी नहीं आई है. बुधवार को राज्य में 43,529 नए मामले सामने आए. राज्य का टीपीआर 29.75% है, जो महामारी के शुरु होने के बाद से अब तक का सबसे ज़्यादा है.
[…] याद होगा कि एडमलकुडी ग्राम पंचायत ने कोविड महामारी के शुरु होते ही […]