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PM JANMAN योजना के लाभार्थी बनी पहली जनजाति में महिलाओं की साक्षरता दर कम

बुक्सा जनजाति यूपी के अलावा उतराखंड में भी निवास करते है. पीएम जनमन योजना के आने बाद यूपी की बुक्सा जनजाति को इस योजना से सबसे पहले लाभ मिला है. साल 2011 की जनगणना में इस जनजाति की महिलाओं का साक्षरता दर पुरुषों के मुकाबले बहुत ही कम है

15 नवंबर, 2023 को पीएम जनजातीय आदिवासी न्याय अभियान (PM JANMAN) के शुभारंभ के बाद से उत्तर प्रदेश की बुक्सा जनजाति इस कार्यक्रम के तहत राज्य से विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के रूप में चयनित एकमात्र जनजाति ने पहले ही अपने जीवन में परिवर्तन देखना शुरू कर दिया है.

उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले में रहने वाले 815 परिवारों के 3,527 सदस्यों को शिक्षा, बिजली और विभिन्न अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगा है.

समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बताया कि पीएम मोदी ने योजना से जुड़े अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कोई भी पीवीटीजी परिवारों को इस योजना के लाभ से छूटना नहीं चाहिए.

इसके साथ ही सभी परिवारों का सर्वेक्षण कर लिया गया है और अगर वो लोग किसी भी योजना के योग्य है तो उन्हें पूरा लाभ दिया जाएगा.

असीम अरुण ने कहा कि यह सारे प्रयास बुक्सा जनजातियों को उद्योग और शिक्षा से जुड़ने के लिए किया जारा है.

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोमवार को पीएम जनमन योजना के लाभार्थियों से बात करेंगे.

ऐसा भी दावा किया जा रहा है कि इस योजना की शुरुआत के बाद से 1,000 से अधिक लाभार्थियों को आधार कार्ड दे दिया गया है. जिसके कारण लाभार्थियों सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे.

समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने गांवों में जो 14-15 लोग मौजूद नहीं थे उन लोगों को छोड़कर आधार योजना के अंतर्गत गांव की सभी आबादी का आधार कार्ड बनाने में कामयाब रहे है.

उन्होंने बताया कि बुक्सा जनजाति की एक बड़ी आबादी उत्तराखंड में रहती है. लेकिन जब साल 2000 में उत्तराखंड को यूपी से अलग किया गया तो समय बुक्सा जनजाति के कुछ लोग यूपी में ही रह गए और फिर यहीं जनजाति उत्तराखंड सीमा से सटे बिजनौर ज़िले की दो तहसीलों के आठ बस्तियों में रहने लगे.

गांव में विकास

यूपी में आदिवासी विकास विभाग (Tribal Development Department) पीएम जनमन योजना के लिए नोडल विकास एजेंसी (Nodal Development Agency) है.

पिछले दो महीने से सरकार ने ग्रामीणों को चार बहुउद्देशीय केंद्र (multipurpose centres) उपलब्ध कराए हैं.

एक सर्वेक्षण के दौरान 192 परिवार कच्चे मकानों में रहते पाए गए और 145 परिवारों को मकान उपलब्ध कराने की मंजूरी दी गई है.

इसके साथ आदिवासियों लड़कों के लिए सिर्फ एक ही स्कूल था वो भी गांव से दूर. अब आदिवासी गांवों के अंदर भी लड़कियों को शिक्षा देने के लिए सह-शिक्षा विद्यालय खोला जा रहा है.

सरकार ने कौशल विकास के लिए 260 अभ्यर्थियों को चुना है.

इसके अलावा जल शक्ति विभाग ने 815 घरों में नल का पानी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है, जिनमें से 500 को इस साल मार्च तक सिस्टम से जोड़ दिया जाएगा.

85 घरों को सोलर लाइट उपलब्ध करायी गयी है. तीन आंगनवाड़ी केंद्र खोलने का प्रस्ताव केंद्र को भेजे जाने के साथ ही पांच ‘वन धन’ विकास केंद्रों (Van dhan development centres) को खोला गया है.

बुक्सा आदिवासी

बुक्सा को भोक्सा, बोक्सा या भोगसा के नाम से भी जानते है. यह बड़े पैमाने पर तराई और भाबर क्षेत्रों में रह सकते है.

इस समुदाय के आदिवासी यूपी के अलावा हिमाचल प्रदेश में सिरमौर ज़िले और उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार, पौरी गढ़वाल, नैनीताल और उधमसिंह नगर ज़िलों में भी निवास करते है.

इस जनजाति का मुख्य व्यवसाय छोटे पैमाने पर कृषि, पशु पालन और मछली पकड़ना है.

बुक्सा आदिवासियों में कुल साक्षरता दर (literacy rate) 50.6 प्रतिशत है. उस 50.6 प्रतिशत में से पुरुष का साक्षरता दर 60.9 प्रतिशत और महिलाओँ का साक्षरता दर 39.1 प्रतिशत है.

इस जनजाति के कुल 1767 यानी 37.51 प्रतिशत आदिवासी काम करते है.

साल 2011 की जनगणना के अनुसार बुक्सा आदिवासियों मुख्य काम करने वाले आदिवासी 876 यानी 18.59 प्रतिशत हैं और गैर श्रमिक 2943 यानी 62.48 प्रतिशत है.
जिसका मतलब यह है कि बुक्सा आदिवासियों में महिलाओं का साक्षरता दर पुरुसों के मुताबिक कम है.

बुक्सा आदिवासियों में शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं का साक्षरता दर कम होने के साथ ही पूरे जनजाति का भी साक्षरता दर कम है.

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