कुछ दिन पहले हमने आपको एक ऐसे पोस्टमास्टर की कहानी बताई थी, जो हर महीने कलक्काड़ मुंडनतुराई टाइगर रिज़र्व के घने जंगलों में 10 कीलोमीटर लंबी ट्रेकिंग कर हर महाने एक आदिवासी बस्ती पहुंचते थे.
क्रिस्तुराजा नाम के यह पोस्टमास्टर हर महीने में एक रविवार यह मुश्किल यात्रा सिर्फ़ इसलिए करते थे, ताकि वो उस बस्ती में रहने वाली 100 साल की एक आदिवासी औरत को उनकी वृद्धावस्था पेंशन पहुंचा सकें.
अब क्रिस्तुराजा की इस मेहनत की पहचान करते हुए ज़िला कलेक्टर वी विष्णु ने रविवार को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान पापनासम अपर डैम ब्रांच के इस पोस्ट मास्टर को सम्मानित किया.
विष्णु के निर्देश पर ही क्रिस्तुराजा इंजीकुझी में उस आदिवासी औरत को पिछले छह महीनों से उनकी पेंशन पहुंचा रहे हैं. 1,000 रुपये की इस वृद्धावस्था पेंशन को पहुंचाने के लिए क्रिस्तुराजा के प्रयासों की सराहना की गई.
सम्मानित किए जाने पर क्रिस्तुराजा ने आभार व्यक्त किया, और कहा कि उन्होंने कभी भी अपनी सेवा के लिए किसी पुरस्कार की उम्मीद नहीं की थी, और वो लोगों के लिए काम करना जारी रखेंगे.
तिरुनेलवेली डिवीज़न डाक विभाग भी इसी हफ़्ते अंबासमुद्रम ज़ोन में क्रिस्तुराजा का उनके प्रयासों के लिए डिवीज़न में सम्मान करेगा.
दरअसल, तिरुनेलवेली के कलेक्टर वी विष्णु ने जब टाइगर रिज़र्व के अदंर बसी इंजिकुझी आदिवासी बस्ती का दौरा किया, तो वो 110 साल की कुट्टियम्माल से मिले. वी विष्णु ने इस बुज़ुर्ग महिला को 1,000 रुपये की मासिक वृद्धावस्था पेंशन देने का आश्वासन देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह इंडिया पोस्ट ऑफिस के माध्यम से उन्हें हर महीने पैसे पहुंचाएं.
इस वादे को पूरा करने के लिए क्रिस्तुराजा, जो अकेले ही अपनी डाकघर शाखा को मैनेज करते हैं, पर कुट्टियम्माल को उनकी पेंशन पहुंचाने का ज़िम्मा आ गया. इंजीकुझी आदिवासी बस्ती पापनासम बांध के पास चिन्नमयिलार कानी पहाड़ की चोटी पर स्थित है.
क्रिस्तुराजा ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो बस्ती तक पहुंचने के लिए पहले बांध के किनारे चार किलोमीटर की नाव की सवारी करते हैं, उसके बाद लगभग 10 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं.
जब नाव चलाने के लिए बांध में पानी का स्तर बहुत कम हो जाता है, तो वह 25 किलोमीटर लंबा जोखिम भरा पहाड़ी रास्ता तय करते हैं.
इस यात्रा में एक पूरा दिन उन्हें लग जाता है, इसलिए पोस्टमास्टर क्रिस्तुराजा रविवार को ही डिलीवरी करते हैं. वो उस दिन सुबह 7 बजे निकलते हैं, और जंगल में एक छोटी नदी तक पहले ट्रेक करते हैं. इस नदी के किनारे नाश्ता करने के बाद, वो बस्ती के पास के मंदिर पहुँचते हैं, और कुट्टियाम्माल के घर जाने से पहले नदी में नहाते हैं.
कुट्टियम्माल को उनकी पेंशन का पैसा देने के बाद, वो उनके साथ थोड़ी बातचीत करते हैं, और शाम 5 बजे अपनी वापसी की यात्रा शुरु करते हैं.
(Photo Credit: The New Indian Express)
Ye he asli HEERO.