छत्तीसगढ़ देश-विदेश से आने वाले आदिवासी लोगों के बीच समृद्ध, जीवंत और राज्य की अनूठी आदिवासी संस्कृति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, संरक्षित करने और एक मंच प्रदान करने के लिए “राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव” के दूसरे संस्करण की मेजबानी करने के लिए तैयार है.
दरअसल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव को लेकर भव्य तैयारी हो रही है. महोत्सव 28 से 30 अक्टूबर तक चलेगा. इस महा महोत्सव में सात देशों के नर्तक दलों सहित 27 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों के 59 आदिवासी नर्तक दल इसमें शामिल हो रहे हैं और महोत्सव में अपने अनूठे नृत्य रूपों और विविध आदिवासी संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे.
करीब 1,000 कलाकार इन नृत्य मंडलियों का हिस्सा होंगे जिनमें से 63 श्रीलंका, उज्बेकिस्तान, स्वाज़ीलैंड, नाइजीरिया, फिलिस्तीन, माले और युगांडा के विदेशी कलाकार होंगे.
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, लक्षद्वीप, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात और गोवा सहित देश के कई राज्यों के नर्तक और कलाकार भी भाग लेंगे. अधिकारियों ने कहा कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के नर्तक विवाह समारोह और अपने राज्य की अन्य पारंपरिक शैलियों सहित दो रूपों में प्रस्तुति देंगे.
आयोजन स्थल पर विदेशों और देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आने वाले नृत्य दलों और अन्य अतिथियों के रूकने की व्यवस्था से लेकर परिवहन व्यवस्था, विभिन्न कार्यक्रमों को लेकर भव्य तैयारियां है. तीन दिन तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
हर दिन 20-20 आदिवासी नर्तक दलों द्वारा अपनी प्रस्तुति दी जाएगी. महोत्सव के दौरान आदिवासियों की जीवन शैली, आदिवासी संस्कृति पर केन्द्रित प्रदर्शनी लगाई जाएगी तथा संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा.
प्रदर्शनी में अलग-अलग विभागों के स्टॉल भी होंगे. प्रदर्शनी में हाथकरघा वस्त्रों और हस्तशिल्प के स्टॉल भी लगाए जाएंगे. आयोजन स्थल पर ट्राइबल डांस एरिया और स्पीकर लाउंज के साथ-साथ लाइव शोकेस एरिया, ट्राइबल इंस्पायर्ड एग्जीबिट, शिल्प-ग्राम और फूड-एरिया भी होगा.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे उद्घाटन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यहां साइंस कॉलेज मैदान में कल सुबह 11 बजे ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ और ‘राज्योत्सव 2021’ का मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन करेंगे. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे जबकि छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके गुरुवार को रात आठ बजे आयोजित होने वाले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “राज्य सरकार आदिवासी लोगों के कल्याण और विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही है. हमने पूरी दुनिया को यहां की आदिवासी संस्कृति से परिचित कराने के लिए ही राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन शुरू किया है. यह आयोजन भारत के अलग-अलग राज्यों और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए आयोजित किया जा रहा है. यह आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की एक विनम्र पहल है.”
विदेशों से छत्तीसगढ़ पहुंचेंगे नर्तक दल
आदिवासी नृत्य महोत्सव के लिए देश-विदेश के नर्तक दल पहुंचने लगे हैं. सबसे पहले विदेशी दल नाइजीरिया से पहुंचा. युगांडा, श्रीलंका, उज्बेकिस्तान, स्वाजीलैंड, मोरक्को, माले और फिलिस्तीन की टीम पहुंच रही है. छत्तीसगढ़ में यह दूसरा आयोजन है. इन टीमों को ठहरने के लिए अलग-अलग होटलों में व्यवस्था की गई है. पूरे आयोजन की सुरक्षा और अन्य व्यवस्था के लिए पांच हजार से अधिक पुलिस और अधिकारियों की टीम तैनात की गई.
इन देशों के कलाकर होंगे शामिल
तीन दिवसीय उत्सव में उज्बेकिस्तान, नाइजीरिया, श्रीलंका, युगांडा, सीरिया, माली, फिलिस्तीन और किंगडम ऑफ एस्वातिनी सहित कई देशों के कलाकार शामिल होंगे. वहीं छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल बस्तर, दंतेवाड़ा, कोरिया, कोरबा, बिलासपुर, गरियाबंद, मैनपुर, धुरा, धमतरी, सरगुजा और जशपुर के कलाकारा भी इस कार्यक्रम में अपना विशिष्ट इतिहास, संस्कृति और परंपराएं पेश करेंगे.
इन विदेशी कलाकारों की अगुवाई के लिए खुद संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं. उनका कहना है कि इस नृत्य महोत्सव से छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान मिलेगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लगातार इस आयोजन की समीक्षा कर रहे हैं. 2019 में जो आयोजन हुआ था उसकी देश दुनिया में तारीफ हुई थी.
समृद्ध आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलेगा
उत्सव में आने वाले लोग समृद्ध आदिवासी संस्कृति के साक्षी बनेंगे और देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों से आदिवासी समुदायों की वेशभूषा, आभूषण और शिल्प के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे. जनजातीय नृत्य क्षेत्र और स्पीकर लाउंज के अलावा, लोगों को आदिवासी जीवन और संस्कृति का मुट्ठी भर अनुभव देने के लिए कार्यक्रम स्थल पर लाइव शोकेस क्षेत्र, आदिवासी-प्रेरित प्रदर्शनी, शिल्पग्राम और भोजन-क्षेत्र भी बनाया गया है.
इस भव्य उत्सव ने एक वार्षिक कार्यक्रम का रूप ले लिया है जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हर साल एक नवंबर को राज्य का दर्जा समारोह के साथ-साथ आयोजित होने वाले कार्यक्रम की घोषणा की है. पहला संस्करण वर्ष 2019 में आयोजित किया गया था जिसमें 25 राज्यों और छह देशों के आदिवासी कलाकारों की भागीदारी देखी गई थी. उत्सव को जनजातीय कलाकारों के साथ-साथ जनता से भी बहुत सराहना मिली है.