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केरल: ज़मीन के पट्टों की मांग को लेकर आदिवासी किसान भूख हड़ताल पर

इन आदिवासियों के पास बिजली, अच्छी सड़कें, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनमें से ज़्यादातर परिवार ब्रिटिश सरकार के ‘ग्रो मोर फूड’ कार्यक्रम के तहत लीज़ पर दी गई ज़मीन पर बस गए थे.

केरल के वायनाड ज़िले में आदिवासी किसानों का एक समूह 24 घंटे की भूख हड़ताल पर है. सुल्तान बत्तेरी में भूख हड़ताल पर बैठे इन किसानों की कई मांगें हैं, जिनमें से एक है वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) के तहत ज़मीन के पट्टे दिए जाने की.

यह किसान Forest Lease Karshaka Samara Samiti के बैनर तले एकजुट हुए हैं. समिति के संयोजक बालकृष्णन पनप्पाडी ने द हिंदू को बताया कि ज़िले में आदिवासियों समेत 3,500 से ज़्यादा परिवार पिछले कई दशकों से वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के तहत वन भूमि पर लीज़ पर रह रहे थे. उस ज़मीन पर उन लोगों का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वन विभाग को 2002 में इस ज़मीन पर टैक्स मिलना बंद हो गया था.

इस वजह से इन आदिवासियों के पास बिजली, अच्छी सड़कें, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनमें से ज़्यादातर परिवार ब्रिटिश सरकार के ‘ग्रो मोर फूड’ कार्यक्रम के तहत लीज़ पर दी गई ज़मीन पर बस गए थे.

अब इतने दशकों से यहां ‘अवैध’ तरीक़े से बसे होने की वजह से न तो उन्हें फ़सल के नुकसान का मुआवज़ा ही मिलता है, और न ही बैंक उन्हें खेती और घर बनाने के लिए लोन देते हैं. चूंकि यह लोग लीज़ पर रहते हैं, जो अब ख़त्म हो गई है, इनके पास बैंकों में जमा करने के लिए कोई दस्तावेज़ नहीं हैं.

अब समिति ने चेताया है कि अगर अधिकारी टाइटल डीड जल्द से जल्द जारी नहीं करते हैं तो अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा.

प्रदर्शन करने वाले किसानों की मांगों में पट्टे की ज़मीन पर घर बनाने की अनुमति देने, बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान और घर के निर्माण से संबंधित मामलों को वापस लेना भी शामिल है.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)

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