HomeAdivasi Daily'महुआ' से महकेंगी बंगाली शराब की दुकानें, शौक़ीनों को जल्दी मिलेगी

‘महुआ’ से महकेंगी बंगाली शराब की दुकानें, शौक़ीनों को जल्दी मिलेगी

एक तो इसकी क़ीमत काफ़ी कम रखी गई है और इसके अलावा राज्य के शौक़ीनों में महुआ के प्रति एक आकर्षण देखा गया है. पश्चिम बंगाल सरकार पिछले एक साल से राज्य में महुआ की शराब के उत्पादन का प्रयास कर रही थी.

जंगलमहल के महुआ की महक लिए पश्चिम बंगाल में नई देसी शराब ‘महुल’ का उत्पादन शुरू हो चुका है. राज्य के आबकारी विभाग का कहना है कि कई डीलर्स के पास तो इस शराब की खेप भी पहुँच चुकी है. इस नई शराब की 300 मिलीलीटर की बोतल की कीमत 26 रुपए तय की गई है.

राज्य के आबकारी विभाग को उम्मीद है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस सर्दी में यह शराब राज्य में उपलब्ध हो जाएगी. आबकारी विभाग का कहना है कि शराब का शौक़ रखने वालों में महुल जल्दी ही लोकप्रिय हो सकती है. 

क्योंकि एक तो इसकी क़ीमत काफ़ी कम रखी गई है और इसके अलावा राज्य के शौक़ीनों में महुआ के प्रति एक आकर्षण देखा गया है. पश्चिम बंगाल सरकार पिछले एक साल से राज्य में महुआ की शराब के उत्पादन का प्रयास कर रही थी.

2020 में सरकार ने पाउच में महुआ की शराब की बिक्री का फ़ैसला किया था. लेकिन मामला अदालत में पहुँच गया था और फिर यह फ़ैसला टल गया. उस समय राज्य सरकार की योजना 20 रूपये प्रति पाउच बेचने की थी. 

महुआ का फल

अब आबकारी विभाग का कहना है कि राज्य के बीरभूम की एक फ़ैक्ट्री में इस शराब का उत्पादन शुरू हो चुका है. इस बारे में तकनीकी जानकारी देते हुए बताया गया है कि उस शराब में 60 डिग्री का 16.1 प्रतिशत अल्कोहल होगा. 

आबकारी विभाग का कहना है कि राज्य में अवैध शराब की बिक्री रोकना एक बड़ी चुनौती है. इससे निपटने का एक ही तरीक़ा नज़र आता है कि अच्छी और सस्ती शराब उपलब्ध कराई जा सके. 

अधिकारियों का कहना है कि इससे राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा और ज़हरीली शराब से लोगों की मौत का ख़तरा भी कम  हो जाएगा. इस शराब के उत्पादन के मक़सद के बारे में अभी जो जानकारी मिली है उसमें यह नहीं बताया गया है कि यह शराब महुआ से ही बनाई जाएगी, या फिर सिर्फ़ महुआ की ख़ुशबू ही इस्तेमाल होगी.

आबकारी विभाग या राज्य सरकार ने अभी तक यह भी नहीं बताया है कि अगर यह शराब महुआ से बनाई जाएगी तो आदिवासियों से महुआ ख़रीदने की प्रक्रिया क्या होगी. 

महुआ जंगल में मिलने वाला एक स्वादिष्ट और मीठा फल है. भारत के ज़्यादातर आदिवासी इलाक़ों में महुआ से शराब बनाई जाती है. इसके अलावा भी महुआ का कई तरह का इस्तेमाल आदिवासी करते हैं.

वन उत्पादों में महुआ आदिवासियों की आय का एक स्थाई ज़रिया माना जाता है. 

महुआ की शराब का व्यवसायिक उत्पादन आदिवासियों को महुआ का अच्छा दाम दिला सकता है. इस सिलसिले में केंद्र सरकार की संस्था TRIFED ने भी मार्च 2020 में महुआ से एक ख़ास ड्रिंक तैयार करके बेचने से जुड़े दावे किये थे.

लेकिन उसके बाद कभी सुना नहीं गया कि वो ड्रिंक मार्केट में आ भी पाई या नहीं. हाल ही में उप चुनाव के प्रचार के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यह घोषणा की थी कि महुआ की शराब का व्यवसायिक उत्पादन शुरू किया जाएगा. 

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