राजस्थान के दो विधायकों के ख़िलाफ़ डुंगरपुर सदर पुलिस ने मामला दर्ज किया है. ये दोनों एमएलए भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के हैं. इन दोनों विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर ने आदिवासी नायक राणा पुंजा भील की प्रतिमा स्थापित करने के लिए मामला दर्ज किया गया है.
प्रशासन का कहना है कि इन दोनों विधायकों ने प्रशासन से अनुमति लिए बिना ही राणा पुंजा भील की मूर्ति की स्थापना सार्वजनिक स्थान पर की है. प्रशासन का कहना है कि गुरूवार के दिन राजकुमार रोत और सागबारा के विधायक रामप्रसाद डिंडोर अपने समर्थकों के साथ डुंगरपुर सदर थाना के क़रीब के चौराहे पर पहुँचे.
इन दोनों विधायकों ने यहाँ पर अपने समर्थकों की मौजूदगी में राणा पुंजा भील की मूर्ति की स्थापना कर दी. प्रशासन का कहना है कि इस मूर्ति की स्थापना के लिए नगर प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई थी. प्रशासन का कहना है कि दोनों ही विधायकों को पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने काफ़ी समझाने का प्रयास किया.
लेकिन भारतीय ट्राइबल पार्टी के इन दोनों ही नेताओं ने प्रशासन की बात नहीं मानी. प्रशासन के अधिकारियों ने दोनों विधायकों को बताया कि यह ग़ैर क़ानूनी है और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है. लेकिन ये दोनों ही विधायक अपने समर्थकों के साथ अपनी बात पर अड़े रहे.
प्रशासन ने कहा कि दोनों ही विधायकों ने ज़बरदस्ती एक सार्वजनिक स्थान पर बिना अनुमति के एक मूर्ति की स्थापना की है. यह नियमों के ख़िलाफ़ है और इसलिए दोनों विधायकों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर किया गया है.
प्रशासन का कहना है कि जब यह मूर्ति लगाई जा रही थी उस समय सागबारा में राज्यपाल कलराज मिश्र का दौरा था. प्रशासन उनकी सुरक्षा और दूसरे इंतज़ाम में व्यस्त था. इस मौक़े का फ़ायदा उठा कर इन दोनों विधायकों ने अपने समर्थकों के साथ राणा पुंजा भील की मूर्ति की स्थापना कर दी.
दरअसल इस चौक पर जैन समाज के धार्मिक गुरू तरुण सागर महाराज की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव था. लेकिन भील समाज के विरोध के बाद उनकी मूर्ति एक अन्य चौराहे पर लगा दी गई. भील समाज इस चौराहे पर राणा पुंजा भील की मूर्ति चाहता था.
बीटीपी के दोनों विधायकों ने प्रशासन द्वारा मूर्ति नहीं लगाए जाने की सूरत में ख़ुद ही मूर्ति लगाने का फ़ैसला कर लिया. वो गुरूवार को अपने समर्थकों के साथ यहाँ के इस गोल चक्कर पर पहुँचे और मूर्ति की स्थापना कर दी.
यह भी कहा जा रहा है कि राणा पुंजा भील की मूर्ति की स्थापना पर किसी को ऐतराज नहीं है. मसला ये है कि इस मूर्ति की स्थापना का श्रेय किसे मिलेगा. कांग्रेस के डुंगरपुर विधायक गणेश घोघरा का कहना है कि यहाँ के नगर निगम ने राणा पुंजा भील की मूर्ति लगाने का फ़ैसला पहले ही कर लिया था. मूर्ति बनने के लिए दे भी दी गई थी.
लेकिन बीटीपी के विधायक इस मूर्ति का श्रेय लेना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने एक ऐसा दिन चुना जब इलाक़े में राज्यपाल का दौरा चल रहा था.
पुंजा भील आदिवासियों के एक बड़े नायक हैं. कहा जाता है कि पुंजा भील ने महाराणा प्रताप को युद्ध में मदद की थी. बताया जाता है कि हल्दी घाटी की लड़ाई में पुंजा भील ने महाराणा प्रताप की सेना को लड़ने में बहुत मदद की थी.
पुंजा भील राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्से में एक महानायक के तौर पर देखे जाते हैं. इसलिए राजनीतिक दलों में इस महानायक का वारिस बने रहने की होड़ देखी जाती है.
देश के तमाम आदिवासी समाज को एक मंच पर लाने का आपके प्रयास को सादर जोहार