कर्नाटक सरकार द्वारा अनुसूचित जाति योजना और अनुसूचित जनजाति उप-योजना (SCPTSP) के तहत आवंटित धन का उपयोग पांच गारंटी के लिए किया जा रहा है. इन गारंटियों की घोषणा 2023 में विधानसभा चुनावों में वादे के तौर पर कांग्रेस पार्टी के लिए की गई थी.
ज़ाहिर है राज्य में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक मौका है कि वह कांग्रेस की सरकार पर हमलावर हो. मुख्य विपक्षी दल होने के नाते यह उसकी ज़िम्मेदारी भी है. कांग्रेस की सहयोगी दलित संघर्ष समिति (DSS) भी इसके विरोध में सड़कों पर उतरने की तैयारी में है.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर अनुसूचित जाति उप-योजना (Scheduled Cast Sub Plan)और जनजातीय उप-योजना (Scheduled Tribe Sub Plan) के लिए निर्धारित 14 हज़ार 800 करोड़ रुपये के धन का उपयोग पांच गारंटियों के लिए करने का आरोप है.
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक मुताबिक, एससीएसपी-टीएसपी (SCSPTSP) की 7,881.91 करोड़ रुपये की राशि ‘गृहलक्ष्मी’ योजना, 70.28 करोड़ रुपये ‘भाग्यलक्ष्मी’ योजना, 2585.93 करोड़ रुपये ‘गृहज्योति’ योजना, 448.15 करोड़ रुपये ‘अन्नभाग्य’ योजना, 2,187 करोड़ रुपये ‘अन्नभाग्य’ योजना के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, 1,451.45 करोड़ रुपये ‘शक्ति’ योजना और 175.50 करोड़ रुपये ‘युवा निधि’ योजना के लिए इस्तेमाल की गई है.
कर्नाटक राज्य सरकार पर पहले ही महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम की 187 करोड़ रुपये की राशि का गबन का आरोप है.
मुख्यमंत्री ने इस कदम का बचाव करते हुए दावा किया कि एससीएसपी-टीएसपी की राशि राज्य में एससी/एसटी आबादी के बराबर खर्च की गई. इन गारंटियों के अधिकांश लाभार्थी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों से हैं.
वहीं वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि एससीपीटीएसपी फंड का “डायवर्जन” नया नहीं है और पिछली सरकारों द्वारा भी ऐसा किया गया था.
लेकिन बीजेपी के कोर्ट जाने की योजना और डीएसएस की “विद्रोह” की धमकी राज्य में आगामी जिला और तालुक पंचायत चुनावों में कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.
SCSP-TSP एक्ट
भारत सरकार ने अनुसूचित जनजाति की आबादी के विकास पर विशेष ध्यान देने के उद्देश्य से 1975 में जनजातीय उप-योजना (Tribal Sub Plan) बनाई थी. इसी तरह से अनुसूचित जाति की आबादी के विकास के लक्ष्य को पूरा करने के लिए स्पेशल कंपोनेंट प्लान शुरू किया गया था.
तत्कालीन राष्ट्रीय योजना आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक, सभी राज्य सरकारों को एससी/एसटी की आबादी के अनुपात में बजट आवंटित करना था. यह निर्देश दिया गया था कि एससीपी/टीएसपी के तहत प्रदान किया गया बजट नॉन-लैप्सेबल और नॉन-डायवर्टेबल होना चाहिए.
हालांकि, एससी/एसटी की आबादी के अनुपात में बजट आवंटित करना अनिवार्य नहीं था. इसके लिए कोई कोई वैधानिक ढांचा भी तैयार नहीं किया गया था. लेकिन इस प्रावधान के तहत कर्नाटक सरकार ने राज्य में एससी/एसटी की आबादी के अनुपात में बजट का आवंटन सुनिश्चित करने के लिए एक क़ानून बनाया.
यह क़ानून था कर्नाटक अनुसूचित जाति उप-आवंटन और जनजातीय-उप-आवंटन अधिनियम, 2013. इस क़ानून के नियम 2017 में तैयार कर दिये गए. यानि यह क़ानून पूरी तरह से लागू हो गया.
इसके साथ ही कर्नाटक ऐसा अधिनियम बनाने वाला दूसरा राज्य बन गया.
इस अधिनियम के सेक्शन (13) के तहत राज्य बजट में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए राज्य की अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के अनुपात के मुताबिक अनुदान निर्धारित किया जाता है.
वहीं किसी विशेष वित्तीय वर्ष में आवंटित अव्ययित राशि यानि नहीं खर्च हुई राशि अगले वर्ष के आवंटन में जोड़ी जा सकती है. इसके अलावा राशि का 2/3 भाग उसी विभाग को आवंटित किया जा सकता है और शेष 1/3 भाग समाज कल्याण विभाग को अलग खाता के अंतर्गत उपयोग हेतु आवंटित किया जा सकता है. क्योंकि जो राशि ख़र्च नहीं हुई हो उसको अगले साल के बजट में नहीं जोड़ा जा सकता था.
क्या है पूरा मामला?
पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी सरकार ने इस साल एससीपीटीएसपी के लिए 39 हज़ार 121 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं.
सीएम ने कहा कि एससीएसपी के तहत 27,673.96 करोड़ रुपये और टीएसपी के तहत 11,447.50 करोड़ रुपये दिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि इन योजनाओं में राज्यों में एससी/एसटी की आबादी के अनुपात में बजट का आवंटन सुनिश्चित किया गया है.
सीएम ने कहा कि यह राशि केवल उन्हीं समुदायों के लिए खर्च की जाती है, जिसमें गारंटी योजनाओं के माध्यम से भी शामिल है क्योंकि लाभार्थी भी एससी/एसटी से हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रत्येक विभाग के लिए आवंटन तय किया है.
इस वर्ष की कार्ययोजना में महिला एवं बाल कल्याण विभाग को 8,480 करोड़ रुपये, ऊर्जा विभाग को 5,026 करोड़ रुपये, समाज कल्याण विभाग को 4,174 करोड़ रुपये, राजस्व विभाग को 3,403 करोड़ रुपये और ग्रामीण विकास विभाग को 3,163 करोड़ रुपये दिए गए हैं.
सीएम ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि अनुदान किसी भी कारण से उपयोग किए बिना समाप्त न हो और इसे उसी वर्ष खर्च किया जाना चाहिए.
राज्य का कुल विकास बजट 1 लाख 60 हज़ार करोड़ रुपये है, जिसमें से 39,121.46 करोड़ रुपये विभिन्न विभागों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आवंटित किए गए हैं और इसमें पिछले साल की तुलना में 3,900 करोड़ रुपये की वृद्धि है.
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान के मुताबिक, पिछले साल आवंटित 35,221.84 करोड़ रुपये में से 97.23 प्रतिशत खर्च किया गया था.
लेकिन कर्नाटक सरकार की पांच गारंटी योजनाओं के लिए फंड के 14 हज़ार 283 करोड़ रुपये का उपयोग करने के संकल्प ने काफी राजनीतिक उथल-पुथल पैदा कर दी है.
विपक्षी दल भाजपा इसे आदिवासी और दलित के पैसे का “दुरुपयोग” कह रही है.
शनिवार को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का समर्थन करने वाले डीएसएस गुटों ने अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एससी और एसटी समुदायों के कल्याण के लिए “पूरे दिल से” काम नहीं कर रही है.
हालांकि, एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि एससीपीटीएसपी अधिनियम की धारा 7 (ए), (बी) और (सी) के तहत सरकार एससी और एसटी समुदायों के विशिष्ट विकास के लिए फंड के एक हिस्से का उपयोग कर सकती है.
अधिकारी ने कहा कि ऐसा पहले भी किया जा चुका है, जिसमें भाग्यलक्ष्मी जैसी योजनाएं शामिल हैं जो लड़कियों को बीमा और छात्राओं को मुफ्त साइकिल प्रदान करती हैं.
कांग्रेस पार्टी की पांच गारंटी क्या हैं?
1. गृह ज्योति (Gruha Jyothi) – इस योजना के तहत बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) परिवार को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली.
2. गृहलक्ष्मी (Gruha Lakshmi) – राज्य की प्रत्येक महिला मुखिया को 2000 रुपये.
3. अन्न भाग्य (Anna Bhagya) – गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को प्रति माह 10 किलो अनाज मिलेगा.
4. युवा निधि (Yuva Nidhi) – इस योजना के अंतर्गत बेरोजगार ग्रेजुएट को दो साल तक 3,000 रुपये प्रति महीना और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को 1,500 रुपये प्रति महीना.
5. शक्ति (Shakti scheme) – केएसआरटीसी/बीएमटीसी बसों में पूरे राज्य में सभी महिलाओं को मुफ्त यात्रा प्रदान करना.
पहले भी लगे हैं SC/ST फंड के दुरुपयोग का आरोप
कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार पर पिछले साल भी SC/ST वेलफेयर से जुड़े फंड का कांग्रेस पार्टी की पांच बड़ी गारंटी पूरी करने के लिए डायवर्ट करने का आरोप लगा था. दरअसल, कर्नाटक शेड्यूल कास्ट सब-प्लान और ट्रायबल सब-प्लान एक्ट के तहत सरकार को अपने कुल बजट का 24.1 फीसदी एससी/एसटी वेलफेयर पर खर्च करना पड़ता है.
पिछले साल एससी-एसटी वेलफेयर के लिए बने फंड को अपनी गारंटी पूरा करने के लिए ट्रांसफर करने को कांग्रेस सरकार यह तर्क देकर उचित ठहराने की कोशिश कर रही है कि गारंटी में एससी/एसटी समुदाय के लोगों को भी फायदा होगा.
हालांकि समाज कल्याण मंत्री ने यह स्वीकार किया कि इन समुदायों के कितने लोगों को गारंटी का लाभ होगा इसकी कोई संख्या उनके पास नहीं है.
कर्नाटक में जिस तरह से SC-ST फंड का इस्तेमाल अन्य योजनाओं पर ख़र्च किया गया है, इस तरह के मामले पहले भी हुए हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों में और केंद्र सरकार के मामले में भी ऐसे उदाहरण मिलते हैं. लेकिन इन उदाहरणों को देकर कर्नाटक सरकार पल्ला नहीं झाड़ सकती है.
उसे इन बहानों के पीछे छुपने की बजाए यह सुनिश्चित किया जाए कि SC-ST के विकास के लिए कानून जो धन सुनिश्चित किया गया है, उसका उपयोग इन समुदायों के लिए ही किया जाए.