आंध्र प्रदेश के अनकपल्ली जिले के वी मदुगुला मंडल के उरलोवा गांव की आदिवासी महिलाओं ने सोमवार को जिला कलेक्टर पी. रवि सुभाष से मुलाकात कर उन्हें एक अभ्यावेदन सौंपा. इसमें उन्होंने एक निजी ग्रेनाइट खनन कंपनी द्वारा आदिवासियों के काजू बागानों को नष्ट करने के बारे में लिखा है.
आदिवासियों का दावा है कि वो पिछले 30 सालो से इन काजू के बागानों पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर हैं, और उन्हें इनके लिए डी-पट्टा भी जारी किया जा चुका है. उन्होंने आरोप लगाया कि एक खनन कंपनी ने उसी जमीन का पट्टा मिलने का दावा करते हुए जमीन खाली करने की धमकी देना शुरू कर दिया है. उन्होंने कलेक्टर से अपनी जमीन की रक्षा करने का अनुरोध किया.
एपी गिरिजन संघम के के गोविंदा राव भी आदिवासियों के साथ कलेक्टर से मिलने गए थे.
कुछ दिन पहले ही इन आदिवासी महिलाओं ने अपने काजू के बागानों को बचाने के लिए नकली आत्महत्या करते हुए एक विरोध प्रदर्शन किया था. अपने गले में साड़ी का फंदा बनाकर उसके दूसरे छोर को पेड़ से बांधकर खड़ी महिलाओं की तस्वीरें वायरल हो गई थीं.
उधर, मदुगुला के तहसीलदार ने आदिवासी लोगों और गिरिजन संघम के प्रतिनिधियों के आरोपों का खंडन किया है.
आदिवासियों के आरोपों पर प्रतिक्रिया करते हुए तहसीलदार ने कहा कि उरलोवा एक निर्जन गांव है, जिसे ‘हिल पोरम्बोक’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
इस पहाड़ी से सटा एक गांव है कोमीरा, जो रविकामदम मंडल में आता है. जैसे यह ज़मीन मदुगुला मंडल की है, कोमीरा की ज़मीन रविकामदम मंडल की है. तहसीलदार का कहना है कि कुल Ac.3109.59cts में से Ac.350cts DRDO को आवंटित किया गया था और इसे Sy. No2 का नाम दिया गया. 2012-13 के दौरान मदुगुला के तत्कालीन तहसीलदार द्वारा कोमीरा गांव के 314 परिवारों को एसी 444.26cts आवंटित किया गया था. उनमें से 76 आदिवासी परिवारों को एसी 138.76cts आवंटित किया गया, और बाकि दूसरे समुदायों को दिया गया.
2013 में, श्री लक्ष्मी नरसिम्हा ग्रेनाइट्स ने उरलोवा हिल पर 18 हेक्टेयर (एसी.45.00cts के बराबर) ज़मीन में रंगीन ग्रेनाइट के लिए खनन पट्टे के लिए आवेदन दिया.
एक जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) की बैठक में यह प्रस्ताव पेश किया गया. इसके बाद 30 अगस्त, 2018 को कंपनी को उरलोवा हिल के Sy.No.3 में 20 साल के लिए खदान की अनुमति दी गई.
मदुगुला तहसीलदार के मुताबिक जुलाई 2021 में, जब कंपनी ने खनन का काम शुरू करने की कोशिश की तो तलहटी में प्रस्तावित खनन पट्टा भूमि पर अतिक्रमण करने वाले लोगों ने कंपनी को उसका काम करने से रोका, और मुआवजे की मांग की. आपसी समझौते के आधार पर, इन लोगों ने 99 साल के लिए लीज़ पर कंपनी को एसी 3.93cts बेच दिया, जिसके लिए उन्हें 39 लाख रुपए का मुआवजा मिला.
बाद में, कुछ दूसरे दावेदार आए और पहाड़ी की चोटी और ढलान पर अपनी जमीन के लिए मुआवजे की मांग करने लगे. लेकिन, कंपनी ने इनकार कर दिया और जनवरी 2022 में इस मुद्दे को हल करने के लिए मदुगुला तहसीलदार के पास पहुंचे.
दोनों पक्षों के साथ बैठक में आदिवासियों ने कहा कि उन्हें खनन क्षेत्र में डी-फॉर्म पट्टा जारी किया गया था. मदुगुला तहसीलदार का कहना है कि मामले की गहन जांच के बाद पाया गया कि खनन पट्टा जारी की गई ज़मीन पर आदिवासियों को कोईपट्टा जारी नहीं किया गया था.