ओडिशा (Odisha) के 8 वर्षीय आदिवासी बच्चें ने खुद को जादू टोना (Witch hunting) से प्रताड़ित होने से बचाया है. यह घटना मयूरभंज ज़िले (Mayurbanj) के छोत्रायपुर गाँव की है.
घटना में शामिल आदिवासी बच्चे के माता-पिता (सिद्धि मरांडी और फूला मरांडी) को पुलिस ने बधुवार को नशे की हालात में गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि इस मामले में पूछताछ करना अभी बाकी है.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को बच्चे के माता- पिता उसे यह कहकर ले गए कि वे उसे रिश्तेदार के घर चक्रधरपुर ले जा रहे हैं. लेकिन चक्रधरपुर की जगह नाबालिग लड़के को गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुनसान जंगल में ले जाया गया.
घटनास्थल पर पहुंचते ही माता-पिता ने डायन प्रथा से जुड़े पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया. उसके बाद बच्चे के पिता ने उसके गले में चाकू से निशान बनाया और उसे पूजास्थल में रख दिया.
यह सब देख बच्चा बेहद घबरा गया. माता-पिता अपनी पूजा-पाठ में व्यस्त थे. उसी दौरान जैसे ही पीड़ित लड़के को मौका मिला, वह गांव की ओर भाग गया.
रास्ते में उसे गांव के कुछ लोग मिले, जिसे उसने इस घटना के बारे में सारी जानकारी दी. लेकिन जब तक गांव के लोग घटनास्थल पहुंचे, बच्चे के माता-पिता वहां से जा चुके थे.
इस बच्चे की मदद करने वाले मिथुन मोहंती ने बताया की रात के लगभग 9 बजे वे और उसके कुछ दोस्त मंदिर के पास बैठे थे. तभी पीड़ित लड़का उनके पास आया और उन्हें अपनी परिस्थिति के बारे में सारी जानकारी दी.
मिथुन ने कहा, “हम घटनास्थल पर जैसे ही पहुंचे, बच्चे के माता-पिता वहां से भाग चुके थे. उस समय बहुत अंधेरा हो गया था. इसलिए हमने उस वक्त इस बारे में कप्तिपाड़ा पुलिस को बताना बेहतर समझा.”
देश में सबसे ज्यादा विच हंटिंग और डायन ब्रांडिंग के मामले ओडिशा राज्य से ही आते हैं . 2013 में आए विच हंटिंग एक्ट के बाद भी राज्य में खास कोई सुधार देखने को नहीं मिला.
इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार 2015 में 58, 2016 में 83 और 2017 में 99 विच हंटिंग से जुड़े मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन ना जाने कितने मामले ऐसे भी रहे होंगे, जिन्हें कभी दर्ज ना किया गया हो.
डायन प्रथा की वजह से हत्याओं के सबसे ज़्यादा मामले ओडिशा के मयूरभंज जिले से रिपोर्ट होते हैं.
अगर आदिवासी सहित अन्य इलाकों में विच हंटिंग के मामलों में सुधार करना है तो ऐसे अभियान की शुरूआत करनी होगी जो समाज में विच हंटिंग और डायन ब्रांडिंग के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैला सके. जागरूकता फैलाने के लिए नाटक और नाच-गाने की सहायता ली जा सकती है.
आदिवासी इलाकों में डायन प्रथा को ख़त्म करने के लिए मयूरभंज जैसे हॉटबेड को चुना जाना ज़रुरी है. इस मामले में प्रशासन, ग़ैर सरकारी संस्थाएं और आदिवासी समुदायों के जागरुक लोगों को मिल कर काम करना होगा.
इस तरह के अभियानों में सज़ा का डर दिखाने के साथ साथ जागरुकता पर भी ज़ोर देना होगा. इसके अलावा सबसे ज़रूरी काम इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है.
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