कर्नाटक के मैसूर ज़िले के नेत्र परीक्षण से आदिवासी समाज में प्रचलित कई बीमारियों का पता चला है.
नेत्र परीक्षण करवाने वाले संकरा आई फाउंडेशन (Sankara Eye foundation) से मिली जानकारी के मुताबिक ज़िले में रहने वाले 1000 आदिवासियों में से 75 प्रतिशत आदिवासियों में आँखों से जुड़ी कई बीमरियां पाई गई हैं.
ये भी पता चला है की कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (Karnataka state road transportation corporation) के 30 प्रतिशत कर्मचारी हृदय रोग, मधुमेह और धूल से उत्पन्न हुई एलर्जी से जूझ रहे हैं.
संकरा आई फाउंडेशन ने हुनसूर और पेरियापटना तालुक के आदिवासी बस्तियों में 6 महीनें तक आँखों का परीक्षण किया.
परीक्षण में शामिल कुल 1000 आदिवासियों में से 75 प्रतिशत ऐसे है, जिन्हें आँखों से संबंधित गंभीर बीमारियां है और इन बीमारियों में तुरंत इलाज़ की जरूरत है.
यह भी मालूम पड़ा कि पीड़ित आदिवासियों में से ज्यादातर लोग 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले हैं.
यह बीमारियां मुख्य तौर पर आँखों के प्रमुख अंग रेटिना और कॉर्निया से जुड़ी हुई है.
फाउंडेशन के प्रमुख गनासेकरन सी. ने कहा, “आदिवासियों की ये हालत बेहद चिंताजनक है. इन बीमारियों को सुधारने के लिए सिर्फ मेडिकल हस्तक्षेप की नहीं बल्कि उनके जीवन शैली में भी सुधार की आवश्यकता है.”
आदिवासी मंच के संयोजक विजयकुमार साय ने कहा की हम (आदिवासी) बहुत ज्यादा स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से जूझ रहे हैं.
उन्होंने ये भी बताया की पिछले साल उन्हें बस दो बार ही पौष्टिक अनाज प्रदान किए गए थे. इन अनाज की गुणवत्ता भी काफी खराब थी.
इसके अलावा कई आदिवासी शराब और गांजे के भी आदी हो रहे हैं. इन्हीं दो कारणों की वज़ह से आदिवासी कई बीमारियों से प्रभावित हो रहे हैं.
इस समस्या को लेकर आदिवासियों ने कई बार आवाज भी उठाई लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकलकर नहीं आया है.
केएसआरटीसी के 750 कर्मचारियों के लिए एक हेल्थ कैंप आयोजित किया गया था. हेल्थ कैंप में शामिल कर्मचारियों में से 30 प्रतिशत आदिवासी मधुमेह, हृदय रोग, धूल से उत्पन्न हुई एलर्जी से प्रभावित है.
केएसआरटीसी कर्मचारियों की जीवनशैली, तनाव, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी केएसआरटीसी कर्मियों में गैर-संचारी रोगों की इतनी अधिक मात्रा का कारण है.