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जाने अनोखी शिल्पकला और पारंपरिक बुनाई के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध ‘कोटपाड साड़ी’ की ख़ासियत

इसके प्रसिद्ध होने के कई कारण है, जिनमें मुख्य है:- प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल, पारंपरिक बुनाई की तकनीक, आदिवासियों की पहचान से जुड़ा होना, संस्कृतिक महत्व, आदिवासी कलाकारों को प्रोतसाहन मिलना इत्यादि.

ओडिशा (Odisha) की कोटपाड साड़ी (Kotpad Saree) अपने अनोखी शिल्पकला और पांरपरिक बुनाई के लिए देश-विदेश में जानी जाती है.

यह साड़ी कोरापुट ज़िले (Koraput district) में रहने वाले आदिवासियों के संस्कृतिक महत्व से भी जुड़ी हुई है.

कोरापुट ज़िले के आदिवासियों द्वारा बनाई गई कोटपाड साड़ी वस्त्र उद्योग में प्रसिद्ध है. इसके प्रसिद्ध होने के कई कारण है, जिनमें मुख्य है:- प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल, पारंपरिक बुनाई की तकनीक, आदिवासियों की पहचान से जुड़ा होना, संस्कृतिक महत्व, आदिवासी कलाकारों को प्रोतसाहन मिलना इत्यादि.

आइए इन सभी के बारे विस्तार से बात करते हैं…

प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल:- कोटपाड साड़ी मुख्य साड़ियों से कई तरह से अलग है. इसके अलग होने का एक कारण ये भी है की इस साड़ी को बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है.

ये रंग आदिवासी पेड़ों के जड़, फूल, पत्ते इत्यादि से लेते हैं. इसलिए यह साड़ी हल्के रंग की ही दिखाई देती है. यह हल्का और मटमैला रंग इसे अन्य साड़ियों से अलग बना देते हैं.

सिर्फ रंगों से ही नहीं, यह इसलिए भी अलग है क्योंकि इसमें किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थ का उपयोग नहीं किया जाता है.

बुनाई की पारंपरिक तकनीक:- कोटपाड साड़ी को बनाने के लिए आदिवासी अपनी पारंपरिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. यह तकनीक कोरापुट के आदिवासियों में पीढ़ियों से चली आ रही है.

इन पारंपरिक तकनीक में कई उपकरणों का प्रयोग होता है. उपकरणों की सहायता से आदिवासी, साड़ी में पारंपरिक डिजाइन बनाते हैं. यह डिजाइन आदिवासियों के संस्कृति और इतिहास से जुड़े हुए होते है.

आदिवासी पहचान से जुड़ा होना:- कोटपाड साड़ी में बनाए गए डिजाइन आदिवासियों के जीवन से जुड़े हुए होते हैं. यह पैटर्न आदिवासियों के जीवन में प्राकृतिक महत्व को दर्शाते हैं.

यह डिजाइन एक ही पैटर्न में या अलग-अलग पैटर्न में बनाए जाते हैं. इन पैटर्न में आदिवासी से जुड़े चिन्ह, ज्योमैट्री के आकार और आदिवासियों का इतिहास भलीभांति प्रदर्शित होता है.

संस्कृतिक महत्व:- कोरापुट में रहने वाले आदिवासियों की संस्कृति को सरंक्षित करने में कोटपाड साड़ियों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

आदिवासी महिलाएं मुख्य रूप से इस साड़ी को त्योहारों, शादी और किसी भी पारंपरिक उत्सव और पूजा-पाठ के अवसर पर पहनती हैं.

आदिवासी कलाकारों को प्रोत्साहित करना:- कोटपाड साड़ियों की बिक्री आदिवासी कलाकारों को रोज़गार प्रदान करती है.

ये विशेषकर आदिवासी महिलाएं कलाकरों को रोज़गार देगी और इसकी मदद से आदिवासी महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी.

कुछ सालों में सिर्फ सरकार की सहायता से नहीं, बल्कि गैर सरकारी संगठन और डिजाइनर की सहयोग से आदिवासियों की इस पहचान (कोटपाड़ साड़ी) को आज देश-विदेश में जाना जा रहा है.

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