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केरल: भीषण ग़र्मी ने आदिवासी जीवन को बेहाल किया

आदिवासियों का कहना है कि जानवर भी गर्मी महसूस कर रहे हैं और जंगल के अंदर पानी के गड्ढों के पास डेरा डाल रहे हैं. जिससे उनके लिए इन क्षेत्रों में जाना और स्नान करना मुश्किल हो गया है.

केरल देश के अन्य हिस्सों की तरह इस साल सबसे भीषण गर्मी का सामना कर रहा है. राज्य में तापमान बहुत अधिक बढ़ रहा है और ये न सिर्फ कस्बों और गांवों में बल्कि राज्य के घने वन क्षेत्रों में स्थित आदिवासी बस्तियों में भी लोगों के सामान्य जीवन को प्रभावित कर रहा है.

कोट्टूर के पास चेनमपारा में और अगस्त्यरकुदम पहाड़ियों की घाटी में स्थित कानी आदिवासी बस्ती तिरुवनंतपुरम जिले के सबसे अच्छे स्थानों में से एक मानी जाती है. लेकिन जंगल के अंदर बसे इस आदिवासी बस्ती में स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.

शहरवासी गर्मी सहन नहीं कर पा रहे हैं और पानी की कमी से जूझ रहे हैं और यही हाल आदिवासी बस्तियों का भी है.

जंगल में बसी आदिवासी बस्तियों में लोग गर्मी के बावजूद घर के बाहर नहीं सो सकते हैं. क्योंकि उनको जंगली जानवरों के हमले का ख़तरा रहता है.

कुट्टीचल और कोट्टूर क्षेत्रों में लगभग 28 आदिवासी बस्तियां हैं और इन बस्तियों में पानी की कमी और अत्यधिक गर्मी तबाही मचा रही है.

लोगों का कहना है कि हमने कभी ऐसी गर्मी का अनुभव नहीं किया है.

इलाके की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि हर साल इन महीनों के दौरान उच्च तापमान होता है लेकिन इतना ज्यादा नहीं. यहां बिजली गुल होना बहुत आम बात है और हम गर्मी के कारण रात में सो नहीं पाते हैं.

उन्होंने कहा कि क्षेत्र के निवासी जंगल के अंदर गहरे जल संसाधनों से रबर की नली का इस्तेमाल कर पीने का पानी इकट्ठा करते हैं.

एक अन्य निवासी ने कहा कि जब जंगली जानवर उसे नष्ट कर देते हैं तो हमारे पास पीने के पानी का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं होता है.

आदिवासियों का कहना है कि जानवर भी गर्मी महसूस कर रहे हैं और जंगल के अंदर पानी के गड्ढों के पास डेरा डाल रहे हैं. जिससे उनके लिए इन क्षेत्रों में जाना और नहाना मुश्किल हो गया है.

कोट्टूर में राज्य के सबसे बड़े हाथी पुनर्वास केंद्रों में से एक है और अधिकारी हाथियों को ठंडा करने के लिए नेय्यर बांध के पानी के अंदर जाने दे रहे हैं और गर्मी से राहत पाने के लिए उन पर पानी का छिड़काव भी कर रहे हैं.

हाथी पुनर्वास केंद्र, कुप्पुकड़ के वन रेंज अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि जानवरों को ठंडक पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. मेन्यू में हम तरबूज जैसे फल शामिल करते हैं. हम आश्रय के अंदर और जानवरों पर पानी भी छिड़कते हैं और अक्सर उन्हें गीले रूकसैक से ढक देते हैं.

कैंप में 16 हाथी हैं, इनमें से सात किशोर हैं. गर्मी से बचने के लिए महावत उन्हें नियमित रूप से नहलाते हैं. एक घरेलू पशुचिकित्सक भी नियमित रूप से जानवरों के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में तापमान में वृद्धि देखी गई है और पलक्कड़ में ऑरेंज अलर्ट जारी करना पड़ा.

अगर मंगलवार को दर्ज किया गया उच्च तापमान अगले दिनों में भी जारी रहता है तो संभावना है कि अलाप्पुझा, त्रिशूर और कोल्लम जिलों के लिए हीटवेव अलर्ट या घोषणाएं जारी की जाएंगी. पलक्कड़ और कन्नूर जिलों में लू से मौतें होने की सूचना मिली है.

आईएमडी के डायरेक्टर-इन-चार्ज डॉ वी के मिनी ने कहा, “केरल में भीषण गर्मी की स्थिति अगले तीन दिनों तक जारी रहेगी. इसका कारण अल नीनो का कमजोर होना है. केरल में हीट इंडैक्स को बढ़ाने में आर्द्रता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.”

जब सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है और यह 48 घंटों तक बनी रहती है तो हीटवेव घोषित की जाती है. उन्होंने कहा कि केरल के कई जिलों में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में औसत तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि देखी गई है.

केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अत्यधिक गर्मी के कारण किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए नियमित सार्वजनिक सलाह जारी कर रहा है.

वहीं केरल स्वास्थ्य विभाग ने जिला चिकित्सा अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में स्थिति की बारीकी से निगरानी करने और अगर जरूरत हो तो हीट क्लीनिक खोलने के लिए भी कहा है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि उन्होंने स्थिति पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की.

उन्होंने एक बयान में कहा है, “हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं. हमने सभी हितधारकों से अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा है क्योंकि हीटवेव खतरनाक हो सकती है. खासकर बुजुर्गों, बच्चों और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए.”

उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी स्थिति का ध्यान रखने के लिए कहा गया है और लोगों से अनुरोध किया गया है कि जिन्हें हीट स्ट्रोक के किसी भी लक्षण का संदेह हो, वे तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें.

खुले में काम करने वाले श्रमिकों को अपने काम को नियमित करने और धूप से बचने की सलाह भी जारी की गई है.

जॉर्ज ने कहा, “हर किसी को हमारी सलाह है कि धूप से बचें. हीट स्ट्रोक के साथ समस्या यह है कि यह किसी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, भले ही वह खुले में छाया में बैठा हो.”

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