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लोकसभा चुनाव 2024 में PVTG समुदाय का मतदान प्रतिशत बढ़ा : चुनाव आयोग

कर्नाटक के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र पीवीटीजी जेनु कुरुबा (Jenu Kuruba) और कोरागा (Koraga) का घर हैं. आम चुनावों से पहले सीईओ कर्नाटक के कार्यालय ने सामाजिक और आदिवासी कल्याण विभागों के सहयोग से पात्र पीवीटीजी का 100 फीसदी नामांकन सुनिश्चित किया.

सरकार का दावा है कि चुनावी प्रक्रिया में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) समुदायों और अन्य जनजातीय समूहों को शामिल करने के लिए पिछले दो वर्षों में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के प्रयासों का फल मिला है और विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में जनजातीय समूहों ने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले और दूसरे फेज में मतदान केंद्रों पर उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया है.  

चुनाव आयोग के मुताबिक जनजातीय समुदाय का मतदान प्रतिशत बढ़ा है. साथ ही इतिहास में पहली बार अंडमान और निकोबार द्वीप (Andaman and Nicobar Islands) समूह की शोम्पेन जनजातियों (Shompen tribes) ने आम चुनाव में मतदान किया.

सरकार का दावा है कि भारत के चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में पीवीटीजी को शामिल करने के प्रति सचेत रहते हुए मतदाताओं के रूप में उनके नामांकन और मतदान प्रक्रिया में भागीदारी के लिए पिछले दो वर्षों में विशेष प्रयास किए हैं.

जिन राज्यों में पीवीटीजी समुदाय हैं वहां मतदाता सूची में इन्हें शामिल करने के लिए स्पेशल आउटरीच कैंप आयोजित किए गए थे.

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में बैगा, भारिया और सहरिया कुल तीन पीवीटीजी हैं. 23 जिलों की कुल 9 लाख 91 हज़ार 613 आबादी में से 6 लाख 37 हज़ार 681 नागरिक 18 साल से उम्र के हैं और सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं.

राज्य में दो चरणों के मतदान में बैगा और भारिया जनजाति के मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया. जो सुबह-सुबह मतदान केंद्र पर पहुंच गए, वोट देने के लिए अपनी बारी का इंतजार किया और लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की.

मतदान केंद्रों पर जनजातीय समूहों के स्वागत के लिए जनजातीय थीम पर आधारित मतदान केंद्र भी बनाए गए थे. मध्य प्रदेश के डिंडोरी में ग्रामीणों ने स्वयं मतदान केंद्रों को सजाया था.

कर्नाटक

कर्नाटक के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र पीवीटीजी जेनु कुरुबा (Jenu Kuruba) और कोरागा (Koraga) का घर हैं. आम चुनावों से पहले सीईओ कर्नाटक के कार्यालय ने सामाजिक और आदिवासी कल्याण विभागों के सहयोग से पात्र पीवीटीजी का 100 फीसदी नामांकन सुनिश्चित किया.

जिला स्तर की आदिवासी कल्याण समितियां गठित की गईं. जो सभी का नामांकन सुनिश्चित करने और सभी पीवीटीजी के बीच चुनावी जागरूकता पैदा करने के लिए नियमित रूप से बैठकें करता था.

सरकार का दावा है कि चुनाव अधिकारियों ने पंजीकरण और चुनावी भागीदारी बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों का दौरा किया है.

राज्य की पूरी आबादी में 55 हज़ार 815 पीवीटीजी हैं, उनमें से 39 हज़ार 498 लोग 18 साल से अधिक उम्र के हैं और सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं.

चुनाव के दिन इन मतदाताओं को मतदान के लिए आकर्षित करने के प्रयास में आदिवासी थीम पर 40 मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे.

केरल

केरल में पांच समुदायों को पीवीटीजी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. वे हैं कासरगोड जिले के कोरगा, नीलांबुर घाटी और मलप्पुरम जिले के चोलनैकायन, अट्टापडी और पलक्कड़ जिले के कुरुंबर, परम्बिकुलम, पलक्कड़ और त्रिशूर जिलों के कादर, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम और पलक्कड़ जिले के कट्टुनायकन.

31 मार्च, 2024 तक उनकी कुल आबादी 4 हज़ार 750 है, इनमें से 3 हज़ार 850 ने विशेष अभियानों और पंजीकरण शिविरों के माध्यम से सफलतापूर्वक मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया है.

चुनावी साक्षरता क्लब और चुनाव पाठशालाओं द्वारा गहन मतदाता जागरूकता पहल के साथ-साथ मतदान के दिन परिवहन का प्रावधान सुनिश्चित किया गया.

केरल के कुरुम्बा आदिवासी मतदाताओं ने एक प्रेरणादायक उपलब्धि हासिल की. वे केरल के साइलेंट घाटी के मुक्कली क्षेत्र में मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए पहले सुलभ वन क्षेत्र तक जाने के लिए घंटों पैदल चले फिर वहां से उनके परिवहन की सुविधा के लिए वाहन उपलब्ध कराए गए थे.

80 और 90 वर्ष की आयु के कई आदिवासी मतदाताओं ने लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण पेश किया और कई लोगों के लिए प्रेरणा भी बने. 817 मतदाताओं में 417 महिलाएं थीं.

ओडिशा

आयोग का कहना है कि ओडिशा में 13 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) रहते हैं. इनके नाम हैं पौडी भुइया, जुआंग, सौरा, लांजिया सौरा, मनकिर्डिया, बिरहोर, कुटिया कोंधा, बोंडो, दिदाई, लोढ़ा, खारिया, चुकुटिया भुंजिया, डोंगोरिया खोंड.

ओडिशा में इनकी कुल आबादी 2 लाख 64 हज़ार 974 है. इनमें से सभी ने 1 लाख 84 हज़ार 274 पात्र पीवीटीजी का मतदाता सूची में 100 फीसदी नामांकन हासिल कर लिया गया है.

यहां चुनावी भागीदारी के महत्व पर समय-समय पर जागरूकता गतिविधियां आयोजित की गईं और स्थानीय बोलियों में मतदाता शिक्षा सामग्री तैयार की गई.

पाला और डस्कथिया जैसे सांस्कृतिक रूपों के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं में किए गए नुक्कड़ नाटकों ने मतदाता शिक्षा और जागरूकता के लिए पावरफुल माध्यम के रूप में काम किया है.

स्थानीय बोलियों में दीवार पेंटिंग करने के नए विचार ने न सिर्फ आसपास के सौंदर्य को बढ़ाया बल्कि “निश्चित रूप से वोट करें” और “मेरा वोट खरीदा नहीं जा सकता” जैसे सशक्त संदेश भी दिए.

ओडिशा में लोकसभा चुनाव के चौथे और सातवें चरण में मतदान होगा.

बिहार

बिहार में माल पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, पहाड़िया, कोरवा और बिरहोर सहित पांच पीवीटीजी समुदाय हैं. राज्य के दस जिलों में इनकी आबादी 7 हज़ार 631 है. इनमें से पात्र 3 हज़ार 147 लोगों को मतदाताओं के रूप में उल्लेखनीय 100 फीसदी नामांकन किया गया.

चल रहे लोकसभा चुनावों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘मतदाता अपील पत्र’ सहित एक व्यापक अभियान शुरू किया गया था.

झारखंड

झारखंड में 32 आदिवासी समूह हैं. इनमें से 9 मतलब असुर, बिरहोर, बिरजिया, कोरवा, माल पहाड़िया, पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, बैगा और सावर पीवीटीजी से संबंधित हैं. एसएसआर 2024 के दौरान, झारखंड में पीवीटीजी के आवास क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाए गए, जो ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र हैं.

इसके परिणामस्वरूप 6 हज़ार 979 नामांकन हुए. 18 साल से अधिक उम्र वाले 1 लाख 69 हज़ार 288 पात्र पीवीटीजी अब मतदाता सूची में पंजीकृत हैं. कुल पीवीटीजी जनसंख्या 2 लाख 58 हज़ार 266 है.

गुजरात

कोलघा, कथोडी, कोटवालिया, पधार, सिद्दी गुजरात के 15 जिलों में पीवीटीजी से संबंधित आदिवासी समूह हैं. राज्य में पात्र पीवीटीजी का 100 फीसदी पंजीकरण सुनिश्चित करते हुए मतदाता सूची में कुल 86 हज़ार 755 पंजीकृत हैं. गुजरात में आम चुनाव 2024 के तीसरे चरण में मतदान हो रहा है.

तमिलनाडु

तमिलनाडु में छह पीवीटीजी – कुट्टुनायकन, कोटा, कुरुम्बा, इरुलर, पनियान, टोडा हैं, जिनकी कुल आबादी 2 लाख 26 हज़ार 300 है. 1 लाख 62 हज़ार 49 पात्र पीवीटीजी में से 1 लाख 61 हज़ार 932 पंजीकृत मतदाता हैं.

23 जिलों में फैले एक व्यापक अभियान में कोयंबटूर, नीलगिरी और तिरुपथुर जैसे क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण ध्यान देने के साथ पीवीटीजी समावेशन को प्राथमिकता दी गई है.

उत्साही आदिवासी मतदाता घने जंगल, जलमार्ग आदि विभिन्न साधनों से मतदान केंद्र तक पहुंचे और लोकसभा चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की.

छत्तीसगढ़

1 लाख 86 हज़ार 918 की संयुक्त आबादी के साथ छत्तीसगढ़ में पांच पीवीटीजी समुदाय हैं. जिनके नाम अबूझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, कामार और पहाड़ी कोरवा हैं, जो 18 जिलों में फैले हुए हैं. 18 साल से अधिक मतदाताओं की संख्या 1 लाख 20 हज़ार 632 है और सभी को मतदाता सूची में पंजीकृत किया गया है.

उनकी चुनावी भागीदारी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. जिनमें गरियाबंद में मतदाता शिक्षा अभियान, कांकेर में अतिरिक्त वाहनों की तैनाती और कबीरधाम जिले में बैगा आदिवासी थीम के तहत पर्यावरण-अनुकूल मतदान केंद्रों की स्थापना और बांस, फूल और पत्ती जैसी प्लास्टिक मुक्त प्राकृतिक सामग्री का उपयोग शामिल है.

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