HomeAdivasi Dailyजीरो बैंक बैलेंस वाली छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिला कोरबा लोकसभा सीट से...

जीरो बैंक बैलेंस वाली छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिला कोरबा लोकसभा सीट से उम्मीदवार

किसी तरह इस दंपत्ति ने सिक्योरिटी मनी के रूप में जरूरी 12 हज़ार 500 रुपये की व्यवस्था की, जो चुनाव लड़ने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए निर्धारित राशि का आधा है.

लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 93 संसदीय क्षेत्रों में मतदान शुरू हो चुका है. शाम तक पहले तीन चरण में 280 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों यानी लोकसभा की कुल सीटों में से आधी से अधिक पर मतदान संपन्न हो चुका होगा.

इस दौरान चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के बारे में लोग जानना चाह रहे हैं. नामांकन के दौरान सभी उम्मीदवारों ने हलफनामें में बताया कि उनके पास कितनी संपत्ति है, बैंक में कितना पैसा है. सबको ये तो पता है कि सबसे अमीर उम्मीदवार कौन हैं लेकिन क्या आपको पता है कि एक उम्मीदवार ऐसी भी हैं जिसके बैंक खाते में 0 बैलेंस है.

दरअसल, छत्तीसगढ़ में लोकसभा का चुनाव लड़ने वाली एक ऐसी भी महिला है जिसके बैंक अकाउंट में बैलेंस जीरो है. बैगा आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली शांति बाई मरावी कोरबा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं और वो प्रदेश की सबसे गरीब उम्मीदवार हैं.

तो आइए जानते हैं कि कौन हैं शांति बाई मरावी….

बैगा समुदाय से आने वाली शांति ने इस शिकायत के साथ संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया कि किसी भी राजनीतिक दल ने उनकी बात नहीं सुनी. उनके पति राम कुमार ने शांति को चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया. वे नाखुश थे क्योंकि न तो उनके मुद्दों को सुना गया और न ही क्षेत्र में विकास देखा गया.

किसी तरह इस दंपत्ति ने सिक्योरिटी मनी के रूप में जरूरी 12 हज़ार 500 रुपये की व्यवस्था की, जो चुनाव लड़ने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए निर्धारित राशि का आधा है.

शांति के पति ने बताया, “खेत मजदूरों के रूप में जमा हमारी बचत के अलावा हमें अपने समुदाय के सदस्यों से कुछ वित्तीय सहायता मिली और हमने 12,500 इकट्ठे किए.”

पांचवीं कक्षा पास शांति ने कहा, “मैं अपने समुदाय के हित को ध्यान में रखते हुए चुनाव लड़ रही हूं. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में बैगा आदिवासी आबादी वाले आसपास के 10-12 बस्तियों के अलावा मेरे गांव के निवासियों ने मेरे लिए समर्थन जुटाने का वादा किया है. मेरी लड़ाई भाजपा की सरोज पांडे और कांग्रेस की ज्योत्सना महंत जैसे राजनीतिक दिग्गजों से है.”

एक गृहिणी और एक बच्चे की माँ, वह अपने पति की खेती-किसानी में मदद करती हैं और खेत मजदूर के रूप में काम करती हैं.

उनका गांव जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर से अधिक दूर और दुर्गम इलाके में स्थित है. टूटी सड़कें उनके घर तक जाती हैं, जहां बमुश्किल कोई सार्वजनिक परिवहन बस या स्थानीय परिवहन सुविधा है.

शांति का उद्देश्य अपने क्षेत्र का चेहरा बदलना है, जहां बैगा समुदाय दशकों से रहता है. चुनाव के लिए शांति नौसिखिया नहीं हैं क्योंकि कुछ साल पहले उन्होंने सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा था लेकिन हार गईं.

उन्हें स्थानीय प्रशासन द्वारा सूचित किया गया कि राज्य सरकार द्वारा राज्य भाजपा शासन की महतारी वंदन योजना के तहत उनके अन्य बैंक खाते में 2,000 जमा किए गए थे. योजना के तहत दो माह (फरवरी-मार्च) की एक-एक हजार रुपये की किश्तें उनके दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दी गईं.

वहीं हलफनामे की समीक्षा से पता चला कि परिवार के पास 97 हज़ार रुपये की संपत्ति है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments