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गढ़चिरौली में आदिवासी नेताओं को हिरासत में लिया गया, खनन परियोजना के खिलाफ धरना वापस लेने को कहा

पीटीआई से बात करते हुए गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल ने कहा कि धरने पर मौजूद कुछ नेताओं को हिरासत में लिया गया और लोगों से जाने का अनुरोध किया गया और वे चले गए.

पुलिस ने शुक्रवार को आदिवासी नेताओं को हिरासत में लिया और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एटापल्ली तहसील के सुरजागढ़ में खनन परियोजना के विरोध में धरना दे रहे लोगों को वापस भेज दिया.

निजी कंपनी को दिया गया पट्टा रद्द करने की मांग को लेकर पिछले पांच दिनों से क्षेत्र के स्थानीय लोग सुरजागढ़ में लौह अयस्क खनन परियोजना के खिलाफ धरना दे रहे हैं.

पुलिस के मुताबिक स्थानीय लोगों को मोर्चा निकालने की अनुमति दी गई थी न कि धरना पर बैठने की.

स्थानीय आदिवासियों ने सोमवार को ‘सूरजागढ़ परम्परावादी इलाका गोतुल समिति’ के संरक्षण में जिला परिषद सदस्य सैनू गोटा और शेतकारी कामगार पक्ष के सदस्य रामदास जराटे के साथ अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया था.

पीटीआई से बात करते हुए गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल ने कहा कि धरने पर मौजूद कुछ नेताओं को हिरासत में लिया गया और लोगों से जाने का अनुरोध किया गया और वे चले गए.

अधिकारी ने कहा, “उन्हें धरने की नहीं बल्कि मोर्चा की अनुमति दी गई थी. इसके बावजूद वे पिछले चार से पांच दिनों से धरना दे रहे थे. पुलिस और जिला कलेक्टर ने घटनास्थल का दौरा किया और प्रदर्शनकारियों से आंदोलन वापस लेने का अनुरोध किया.”

दरअसल पंचायत राज (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, पेसा अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) और महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम जैसे विभिन्न कानूनों के घोर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एटापल्ली और भामरागढ़ में लौह अयस्क समृद्ध पहाड़ी इलाकों में कई अन्य कंपनियों के खदान को बंद करने के साथ-साथ कई अन्य कंपनियों को दिए गए खदान के पट्टे को रद्द करने की मांग को लेकर सोमवार से हजारों स्थानीय लोग इकट्ठे हुए थे.

प्रदर्शनकारियों ने लॉयड मेटल्स द्वारा उच्च प्रभाव वाले विस्फोटकों के संभावित इस्तेमाल पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे क्षेत्र में लोगों के साथ-साथ जानवरों के जीवन को भी ख़तरा हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा है कि विस्फोटकों को गुप्त रूप से नक्सलियों तक पहुंचाया जा सकता था जिसका इस्तेमाल तब राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा सकता था. उन्होंने कहा कि नक्सली विस्फोटक चोरी करने के लिए खदान स्थल पर छापेमारी भी कर सकते हैं जिससे बड़ा हादसा हो सकता है.

दरअसल पिछले कई वर्षों में कंपनी की परिवहन गतिविधियों के साथ-साथ अधिकारियों पर बड़े नक्सली हमलों के मामले सामने आए हैं. लेकिन इसके बावजूद कंपनी ने पिछले दो महीनों से खनन फिर से शुरू कर दिया है.

कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि इससे क्षेत्र में 2 से 3 हज़ार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है. उन्होंने कहा कि कंपनी ने विभिन्न विकास गतिविधियों जैसे सड़कों के निर्माण और मरम्मत और स्थानीय लोगों के लिए चिकित्सा उपचार की सुविधा भी शुरू की है.

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