मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के एसपी कुमार प्रतीक को तबादला कर दिया गया है. 3 मई को सिवनी ज़िले के एक गाँव में दो आदिवासियों की पीट पीट कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने एसपी के ट्रांसफ़र के आदेश के साथ ही एक एसआईटी के गठन का भी आदेश दिया है.
इस मामले में विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर ज़बरदस्त आक्रमण किया था. एसआईटी के गठन और पुलिस अधिकारियों के तबादले के बाद भी विपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्ष का कहना है कि अधिकारियों का तबादला नहीं बल्कि उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए था.
उसके बाद ही इस मामले में निष्पक्ष जाँच की जा सकती है. दो आदिवासियों की हत्या के मामले में आरोप बजरंग दल और दूसरे हिंदूवादी संगठनों पर लगा था. स्थानीय मीडिया में छपी ख़बरों की माने तो एसपी के तबादले के पीछे आदिवासियों की हत्या में पुलिस की भूमिका वजह नहीं है.
बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नारज़गी है. स्थानीय मीडिया में ख़बरें हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी के बाद सिवनी जिले के पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक को हटा दिया गया है.
सिवनी जिले में गोकशी के आरोप में माब लिंचिंग के शिकार हुए आदिवासी युवकों की मौत के मामले में पुलिस ने हत्या के आरोपियों को बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों से जुड़ा होना बताया था. संघ ने इस पर आपत्ति की थी, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने संशोधित बयान जारी कर मामले को संभालने की कोशिश भी की थी.
संघ को लगता है कि पुलिस अधीक्षक के बयान के बाद विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का मौक़ा मिल गया था. बताया जाता है कि सरकार भी इस बात से नाराज थी.
अब सारे मामले की जांच एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) करेगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को मामले की समीक्षा की और एसआइटी गठित करने के निर्देश दिए हैं.
सिमरिया गांव की इस घटना के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने छह सदस्यीय जांच दल गठित किया था, जो गांव पहुंचा और मृतकों के स्वजनों से मुलाकात की. इस दल ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट प्रदेश संगठन को सौंपी है.
शनिवार को मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर मामले की समीक्षा करते हुए एसआइटी गठित कर 10 दिन में रिपोर्ट मांगी है. इसके बाद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डा. राजेश राजौरा के नेतृत्व में एसआइटी गठित की गई है. इसमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल अखेतो सेमा और माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव श्रीकांत भनोट भी शामिल हैं.
फ़िलहाल बीजेपी राज्य में आदिवासियों पर फ़ोकस कर रही है. क्योंकि चुनाव में अगले साल राज्य में चुनाव होंगे. 2018 के चुनाव में आदिवासी इलाक़ों में बीजेपी को झटका लगा था. बीजेपी ने आदिवासियों के लिए लगातार कई घोषणाएँ भी की हैं.
इसके अलावा प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रैलियाँ भी आयोजित की गई हैं. लेकिन सिवनी जैसी घटनाएँ बीजेपी और मध्य प्रदेश सरकार की सारी मेहनत पर पानी फेर सकती हैं. ख़ासतौर से अगर संदेश यह जाए की यह हत्या हिंदूवादी संगठनों ने की हैं.
आप बहुत अच्छा काम कर रहे हो भैया।