HomeAdivasi Dailyओडिशा में आदिवासी महिला की हत्या, डायन प्रथा की हुई शिकार

ओडिशा में आदिवासी महिला की हत्या, डायन प्रथा की हुई शिकार

ओडिशा का मयूरभंज ज़िला डायन बता कर महिलाओं की हत्या करने के मामले में बदनाम रहा है. एक बार फिर वहां से ऐसी ही एक ख़बर आई है

ओडिशा (Odisha) के मयूरभंज ज़िले (Mayurbanj District) में 45 वर्षीय आदिवासी महिला (45 tribal women ) को डायन बता कर मार दिया गया.

इस आदिवासी महिला का नाम मिनती मुर्मू बताया जा रहा है और वे मयूरभंज ज़िले के लोहंडाकोचा गांव की रहने वाली है.

पुलिस को मिनती के पति, बलेई मुर्मू ने बताया की जब उनकी पत्नी अपने घर पर अकेली थी, तब गाँव के दो लोगों ने हथियार के साथ उन पर हमला कर दिया.

हमले के बाद घायल आदिवासी महिला को स्थानीय पीआरएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया. लेकिन आदिवासी महिला को बचाया नहीं जा सका.

इसी सिलसिले में झारपोखरिया पुलिस के आधिकारी ने बताया की एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा चुका है और मामले की जांच अभी की जा रही है.

ओडिशा में डायन प्रथा से हत्या का ये कोई पहला मामला नहीं है. दरअसल राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक विच हंटिंग से हत्या के सबसे ज़्यादा केस झारखंड में देखने को मिलते है.

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इसके बाद ओडिशा ऐसा राज्य है, जहां विच हंटिंग के सबसे ज्यादा मामले होते है.

इसी संदर्भ में ओडिशा में विच हंटिंग एक्ट 2013 के लागू होने के बाद ये पाया गया की 2015 में 58, 2016 में 83 और 2017 में 99 विच हंटिंग से जुड़े मामले दर्ज किए गए थे.

इसके अलावा ना जाने कितने मामले इतने होंगे जिनकी रिपोर्ट तक नहीं की गई होगी.

इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय नॉन-प्रॉफ़िट संस्था, एक्शनएड ने ओडिशा राज्य महिला आयोग के समर्थन से एक स्टडी की थी.

इस स्टडी में पूरे ओडिशा से विच-हंटिंग और डायन-ब्रांडिंग के 100 मामलों के बारे में जानकारी इकट्ठा की गई थी.

डायन-ब्रांडिंग के 27 फीसदी मामले बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की वजह से हुए थे. इसके अलावा 43.5 फीसदी परिवार के बुज़ुर्ग सदस्य के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की वजह पाए गए. बाकी मामलों में 24.5 फीसदी मामले दुर्भाग्य या ज़मीन हथियाने की वजह से और पांच फीसदी फसल बर्बाद होने की वजह से घटित हुए थे.

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